मेदवेदेव कहते हैं कि अमरीका के नेतृत्व में पश्चिम ही तीसरे विश्व युद्ध की ज्वाला भड़का रहा है।
अमरीकी लेखक माइकल टी क्लार ने सन 2001 में एक लेख लिखा था जिसका शीर्षक था " तनाव का नया भुगोल "। इस लेख में उन्होंने विश्व वासियों को इस प्रकार से चेतावनी दी थीः निकट भविष्य में झड़पों के इलाक़े वह इलाक़े होंगे जहां प्राकृतिक संसाधन अधिक होंगे।
युद्ध वास्तव में एक भयानक न्रास्दी है जो वास्तव में जीवन के मूल भूत ढांचे को ही निशाना बनाती है और उसे पूरी तरह से तबाह कर देती है। अब तक हम ने विभिन्न प्रकार के युद्ध देखे हैं।
यमन युद्ध पिछले तीन साल से अधिक समय से जारी है।
सऊदी अरब ने 26 मार्च 2015 को यमन के ख़िलाफ़ जंग शुरु की जिसे उसने बहुत कम मुद्दत में ख़त्म करने की बात कही थी लेकिन अब यह जंग चौथे साल में दाख़िल हो चुकी है।
सऊदी अरब ने 26 मार्च 2015 को यमन के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया था और इसे निर्णायक तूफ़ान का नाम दिया था।
यमन के विभिन्न क्षेत्रों पर सऊदी हमले यथावत जारी है।
बच्चों पर जंग के सबसे बड़े कुप्रभाव में से एक कि जो महसूस नहीं होता, उनका शिक्षा से वंचित होना है।
युद्ध के बहुत से खतरनाक व भयावह परिणाम होते हैं उसका एक महत्वपूर्ण दुष्परिणाम आम नागरिकों विशेषकर बच्चों और महिलाओं पर पड़ता है।