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क़ुरआन कहता है: "अच्छी तरह से बात करो!"
Jul २६, २०२५ १६:२२तनाव और मतभेद से भरी दुनिया में क़ुरआन हमें एक शक्तिशाली हथियार की ओर बुलाता है: वह हथियार है अच्छा बोलना है
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कठिनाई और सुख में, अच्छे बने रहो!
Jul २४, २०२५ १६:४४अच्छे लोग एक दयालु और न्यायपूर्ण समाज के स्तंभ होते हैं, वे लोग जो हर परिस्थिति में दान करते हैं, अपने क्रोध को नियंत्रित करते हैं और दूसरों की ग़लतियों को माफ़ कर देते हैं।
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जब हम दिल को अल्लाह को सौंप देते हैं
Jul २४, २०२५ १५:३५जीवन की चुनौतियों और चिंताओं के बीच, ईश्वर पर भरोसा करने से हृदय को शांति और आराम मिलता है।
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अल्लाह को भूलने के सामाजिक परिणाम
Jul २२, २०२५ १५:३१अल्लाह को भूलना सामाजिक और नैतिक पतन की शुरुआत है। सूरह हश्र की आयत नंबर 19 चेतावनी देती है कि ईश्वर के साथ आध्यात्मिक संबंध टूटने से व्यक्तिगत ग़ुमराही और सामाजिक भ्रष्टाचार पैदा होता है।
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लोगों के साथ नरमी और कोमलता के साथ व्यवहार करना
Jul २१, २०२५ १९:०३सूरे आले-ए-इमरान की आयत पैग़म्बरे इस्लाम के नैतिक आचरण का उल्लेख करते हुए हमें सिखाती है कि दया, क्षमा और परामर्श, दिलों को जोड़ने की मुख्य कुंजी और मानवीय संबंधों में सफ़लता का रहस्य हैं।
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जीवन क़ुरान के नैतिक सिद्धांतों की छत्रछाया में बेहतर है
Jul २०, २०२५ १५:००क़ुरान करीम की स्पष्ट आयतों में, सूरह नहल की आयत नंबर 90 एक चमकते हीरे की तरह है, जो संक्षिप्त और सटीक भाषा में नैतिकता और सामाजिक मूल्यों के बुनियादी सिद्धांतों को स्पष्ट करती है।
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इंसानों की बराबरी क़ुरान के अनुसार
Jul १४, २०२५ १५:३३क़ुरआन मजीद, मार्गदर्शन की पुस्तक और मनुष्यों के जीवन का मार्गदर्शक, नैतिक शिक्षाओं से परिपूर्ण है जो व्यक्तिगत और सामाजिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
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इमाम हुसैन अलै. ने यज़ीद बिन मुआविया के ख़िलाफ़ क्यों आंदोलन किया? इस आंदोलन से इस्लामी उम्मत को क्या लाभ हुए?
Jul ०६, २०२५ १५:५६पार्स टुडे- इमाम हुसैन (अ.) का क़ियाम व आंदोलन उस समय हुआ जब इस्लामी समाज यज़ीद, जो मुआविया का बेटा और बनी उमय्या की ख़ानदान से था, की हुकूमत में विनाश की ओर बढ़ रहा था और लोगों के बीच ईश्वरीय आदेश तथा नैतिकताएँ भुलाई जा रही थीं।
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आज़ाद रहो! इमाम हुसैन (अ.स.) के महाआंदोलन के संदेश
Jun २९, २०२५ १७:१३स्वतंत्र रहो! इमाम हुसैन (अ.स.) के अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष के प्रेरक वचन
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धर्म में गहराई से ज्ञान प्राप्त करो, क्योंकि यह समझदारी की चाबी है, इमाम मूसा अल-काज़िम (अ.स.) की हदीस की व्याख्या
Jun २८, २०२५ १८:२२पार्स टुडे - इमाम मूसा अल-काज़िम (अ.स.) की एक हदीस में उन्होंने ईश्वर के धर्म में गहराई से अध्ययन करने को रोशन-बीनी की कुंजी बताया है।