रूसी राष्ट्रपति से मुलाक़ात के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
(last modified Tue, 07 Dec 2021 10:21:00 GMT )
Dec ०७, २०२१ १५:५१ Asia/Kolkata

भारत और रूस के मध्य इस बात पर कब सहमति हुई थी कि भारत रूस से प्रक्षेपास्त्रिक रक्षा प्रणाली S-400 खरीदेगा।

सोमवार को हैदराबाद हाउस में होने वाली मुलाकात में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत और रूस के रिश्ते अब तक के सबसे मजबूत दौर में हैं और दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुखों के बीच दो साल बाद यह सीधी मुलाकात हो रही है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच पुराना सहयोग रहा है और रूस भारत का भरोसेमंद साझेदार रहा है हालांकि कोरोना काल में दोनों देशों के बीच का सालाना शिखर सम्मेलन नहीं हो पाया था। भारत के प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली बैठक से पूर्व दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच भी मुलाकात हुई थी।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन के बीच दो साल बाद आमने- सामने होने वाली मुलाकात काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय मंत्री हर्ष वर्धन ने बताया है कि रूस की प्रक्षेपास्त्रिक रक्षा प्रणाली S-400 भारत को मिलनी आरंभ हो गयी है और यह काम जारी रहेगा। उन्होंने इस बात की घोषणा कल हैदराबाद हाउस में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन के मध्य होने वाली मुलाकात के दौरान की। इसी बीच रूस के रक्षा मंत्री ने कहा है कि एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली पर दबावों को दरकिनार करते हुए भारत जिस तरह से आगे बढ़ा है, वह दिखाता है कि एक संप्रभु राष्ट्र होने के नाते वह किसी दबाव के आगे नहीं झुकेगा और अपने हितों को ध्यान में रखकर निर्णय़ करेगा।

ज्ञात रहे कि वर्ष 2018 में रूस और भारत के बीच S-400 मीसाइल प्रणाली की खरीदारी को लेकर दोनों देशों के मध्य समझौता हुआ था।

जानकार हल्कों का मानना है कि रूस और भारत का निकट आना वह चीज़ है जो अमेरिका को बिल्कुल भी पसंद नहीं आयेगी। जब भारत ने यह घोषणा की थी कि वह रूस से प्रक्षेपास्त्रिक प्रणाली S-400 खरीदेगा तो अमेरिका ने उसे प्रतिबंधों की धमकी दी थी परंतु जैसाकि भारतीय सूत्रों ने घोषणा की है कि रूस की S-400 मीसाइल रक्षाप्रणाली उसे मिलना आरंभ हो गयी और यह कार्य जारी भी रहेगा इससे यह बात साबित हो जाती है कि भारत, अमेरिका सहित किसी भी देश की धमकी या दबाव में नहीं आयेगा और वह अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार फैसला करेगा।

अमेरिका ने भारत को जो प्रतिबंध की धमकी थी जानकार हल्के इस धमकी को भारत के आंतरिक मामलों में एक प्रकार का हस्तक्षेप मानते हैं। क्योंकि इन हल्कों का मानना है कि हर देश का यह आंतरिक मामला है कि वह किस देश से लेन- देन करे और किससे न करे और अमेरिका या किसी भी दूसरे देश को इस बात का अधिकार नहीं है कि कौन किससे लेन- देन व समझौता करे।

बहरहाल जानकार हल्के रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा और दोनों देशों के मध्य होने वाले समझौतों को द्विपक्षीय संबंधों की मज़बूती की दिशा में सकारात्मक क़दम के रूप में देख रहे हैं। MM

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