शेर का नाम अकबर और शेरनी का नाम सीता, मच गया हंगामा, अधिकारी निलंबित
भाजपा शासित त्रिपुरा राज्य सरकार ने 24 फ़रवरी को अपने मुख्य वन्यजीव वार्डन प्रबीन लाल अग्रवाल को शेरों की एक जोड़ी का नाम अकबर और सीता के रूप में दर्ज करने के लिए निलंबित कर दिया।
यह कदम तब उठाया गया जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या संभावित धार्मिक विवाद पैदा करने के लिए इस जोड़ी का नाम अकबर और सीता के नाम पर रखा गया।
विश्व हिंदू परिषद ने 16 फरवरी को इस संबंध में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ‘अकबर’ और ‘सीता’ नाम के शेर और शेरनी, एनिमल एक्सचेंज कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 12 फ़रवरी को त्रिपुरा के सिपाहीजाला चिड़ियाघर से पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में उत्तरी बंगाल वन्य पशु पार्क लाए गए थे।
1994 बैच के भारतीय वन सेवा अधिकारी प्रबीन लाल अग्रवाल ने इस जोड़े को पश्चिम बंगाल भेजने से पहले डिस्पैच रजिस्टर में उनका नाम अकबर और सीता के रूप में दर्ज किया था। अग्रवाल त्रिपुरा के मुख्य वन्यजीव वार्डन हैं, जो राज्य वन विभाग के सर्वोच्च पदों में से एक है. वह प्रधान मुख्य वन संरक्षक भी हैं।
त्रिपुरा सरकार ने अग्रवाल से स्पष्टीकरण मांगा है, हालांकि उन्होंने शेर के जोड़े का नाम अकबर और सीता होने से इनकार किया। इस बीच एक जांच से पता चला कि ‘त्रिपुरा में वन्यजीव अधिकारियों’ ने ये नाम दिए थे।
इससे पहले बीते 24 फरवरी को राज्य सरकार जो वर्तमान में भाजपा और उसके सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा द्वारा शासित है, ने अग्रवाल को निलंबित कर दिया।
बीते 16 फरवरी को स्थानीय विश्व हिंदू परिषद ने इस जोड़े का नाम अकबर और सीता रखने के संबंध में एक याचिका दायर की थी, जो बाद में कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका के रूप में लाई गई।
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ‘विवाद’ से बचा जा सकता था. इसने यह भी पूछा गया कि जानवरों का ऐसा नाम किसने रखा, जो ‘विवाद’ का कारण बना। (AK)
हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए
हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए