क्रिकेट का चस्का, तेहरान में भारत - पाकिस्तान फ़ाइनल का रंग
भारत और पाकिस्तान के बीच चैंपियंस ट्राफ़ी के फ़ाइनल मुक़ाबले में जहां भारत और पाकिस्तान की जनता उत्सुक है वहीं ईरान की राजधानी तेहरान में रहने वाले भारतीय और पाकिस्तानी बहुत ही रोचक अंजाम में मैंच का मज़ा ले रहे हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला मुक़ाबला हमेशा से ही रोचक रहा है किन्तु इस बार के फ़ाइनल मुक़ाबले में मैच को और भी रोचक बना दिया है। भारत चैंपियंस ट्राफ़ी के मुक़ाबले के लीग मैच में पाकिस्तान को हरा चुका है।
पाकिस्तानी समर्थकों का कहना है कि 1992 का विश्व कप का फ़ाइनल मुक़ाबला भी रमज़ान महीने में हुआ था और पाकिस्तान ने दुनिया को हैरान करके कप पर क़ब्ज़ा किया था, क्या 25 साल बाद इतिहास स्वयं को दोहराने जा रहा है। भारत और पाकिस्तान के लोग क्रिकेट के शौक़ीन नहीं बल्कि क्रिकेट के दिवाने हैं, दोनों देशों के लोग जो खेल को युद्ध से कम नहीं समझते और विशेषकर जब जंग पाकिस्तान और भारत के बीच हो तो जैसे वह स्वयं ही रणक्षेत्र में मोर्चे पर मौजूद हैं।
चैंपियंस लीग के मुक़ाबले में आज भी वही हो रहा है, बालर की बाल के साथ घर में टीवी स्क्रीन के सामने बैठे समर्थक तक हिल जाते हैं, अरे इस बाल को ऐसा खेलना चाहिए था, इस पर तो चौका बनता है, वग़ैरह वग़ैरह कमेंट होते हैं।
कुछ लोग पाकिस्तान की फ़ाइनल में पहुंच को जहां पवित्र रमज़ान से की देन बता रहे हैं और यदि देखा जाए तो यह इतना ग़लत भी न होगा क्योंकि 25 साल पहले का वह रमज़ान का महीना अधिकतर लोगों को याद होगा जब 1992 के वर्ल्ड कप में पाकिस्तान का पोल मैचों में टूर्नामेंट से बाहर हो जाना निश्चित था किन्तु जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि पाकिस्तान न इतिहास ही रच दिया। आज भी स्थिति अधिक विभिन्न नहीं है, क्रिकेट का वही फ़ाइनल है, वही रमज़ान और वही पाकिस्तान, अलबत्ता इग्लैंड को पाकिस्तान इस बार सेमीफ़ाइनल में हरा चुका है और आज पाकिस्तान के सामने उसका चिर प्रतिद्वंदी भारत है। मामला कुछ कुछ 1947 से भी मिल रहा है जब इंग्लैंड बीच से हट गया और भारत तथा पाकिस्तान आमने सामने थे।
आज के मैच ने भारत टास जीतकर पाकिस्तान को पहले बल्लेबाज़ी का निमंत्रण दिया जिसके बाद पाकिस्तान ने चार विकेट पर 338 बनाएं हैं। लिए। अज़हर अली 59 रन बनाकर रन-आउट हुए। फख़्र जमान ने अपने करियर की पहली सेंचुरी भारत के खिलाफ लगाई। अब यह देखते हैं कि पाकिस्तानी समर्थकों के अंदाज़े कितने सही होते हैं। (AK)