भारत को अपने इतिहास के सबसे भयावय संकट का सामना: विश्व बैंक
(last modified Sun, 01 Jul 2018 12:54:38 GMT )
Jul ०१, २०१८ १८:२४ Asia/Kolkata
  • भारत को अपने इतिहास के सबसे भयावय संकट का सामना: विश्व बैंक

दिन प्रतिदिन गर्मी की तीव्रता में होती वृद्धि के कारण आने वाले दिनों में भारत की आधी आबादी को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

विश्व बैंक ने दुनिया में पर्यावरण में हो रहे तेज़ी से परिवर्तन पर एक रिपोर्ट पेश की है। विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगले 30 वर्षों में गर्मी की तीव्रता में वृद्धि और बारिश में होने वाली कमी के कारण, भारत की आधी आबादी के जीवन की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ने वाला है। रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ भारत के दो ऐसे राज्य हैं जहां पर्यावरणीय परिवर्तन का सबसे पहले असर दिखाई देगा। विश्व बैंक की रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले 60 वर्षों में तापमान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में, सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़ और  मध्य प्रदेश के अलावा  राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र भी शामिल हैं। इन सभी राज्यों में बढ़ती गर्मी के कारण, यहां रहने वाले लोगों की आमदनी भी प्रभावित होगी जो लगभग 9 प्रतिशत आय को कम कर देगी। इन क्षेत्रों में पहले से ही पानी की कमी है और भविष्य में होने वाला जलवायु परिवर्तन, इन राज्यों के कृषि उत्पादनों में भी भारी कमी का कारण बनेगा और साथ ही स्वास्थ्य समस्याओं में भी वृद्धि होगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आने वाले दशकों में पानी की कमी के कारण भारत को अपने इतिहास के सबसे भयावय संकट का सामना करना पड़ेगा और इस देश के 60 करोड़ लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा।

उल्लेखनीय है कि लगभग 20 वर्ष पहले,  भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरे देश में पानी की आपूर्ति को बेहतर बनाने के उद्देश्य से देश की सभी नदियों को जोड़ने के लिए एक बड़ी योजना का एलान किया था, लेकिन वाजपेयी सरकार के जाने के बाद, दिल्ली में आने वाली अब तक की सभी सरकारों ने इस योजना पर कोई काम नहीं किया। इस बीच भारत सहित दुनिया भर के पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस देश की सरकारों को बारमबार इस बात की चेतावनी दी है कि आने वाले वर्षों में भारत को गभींर पानी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

भारतीय मीडिया के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने लेख में लिखा है कि उन्हें देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद यह आशा ज़रूर थी कि वह इस संबंध में वाजपेयी जी की योजना को आगे बढ़ाएंगे, लेकिन न सिर्फ उन्होंने इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया बल्कि इस संबंध में उन्होंने कोई भी कार्य ही नहीं किया। (RZ)