एमनेस्टी ने की भारत के फैसले की निंदा
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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आरोप लगाया कि भारत सरकार रोहिंग्या प्रवासियों को बदनाम करने का अभियान चला रही है। 
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Oct ०५, २०१८ १९:२८ Asia/Kolkata
  • एमनेस्टी ने की भारत के फैसले की निंदा

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आरोप लगाया कि भारत सरकार रोहिंग्या प्रवासियों को बदनाम करने का अभियान चला रही है। 

एमनेस्टी इंटरनैश्नल के अनुसार यह काम भारत में शरण चाहने वालों के लिए एक ख़तरनाक मिसाल बन रहा है। एमनेस्टी इंडिया के कार्यकारी निदेशक ए. पटेल ने कहा कि वापस भेजे गए रोहिंग्या मुसलमान, म्यांमार सरकार द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर ख़तरों का सामना कर रहे हैं।  उन्होंने कहा कि यह भारत में मानवाधिकारों के लिए काला दिन है।  पटेल के अनुसार भारत सरकार का यह फैसला मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का सामना करने वालों को शरण देने की समृद्ध भारतीय परंपरा को नज़रअंदाज़ करता है।

भारत सरकार ने गत वर्ष संसद में बताया था कि भारत में 14000 से अधिक रोहिंग्या रह रहे हैं जो कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर से पंजीकृत हैं।  वहीं सहायता एजेंसियों का अनुमान है कि भारत में लगभग 40000 रोहिंग्या प्रवासी मौजूद हैं।

ज्ञात रहे कि भारत ने गुरुवार को सात रोहिंग्या प्रवासियों को म्यांमार वापस भेज दिया था।  भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें म्यांमार वापस न भेजे जाने की मांग को खारिज कर दिया था।  इसके तुरंत बाद ही सातों प्रवासियों को वापस म्यांमार भेज दिया गया।  भारत के इस क़दम की मानवाधिकार समूहों ने आलोचना की है।