इमाम ख़ामेनेई के बयान | प्रतिबंधों ने ईरान को आत्मनिर्भर बना दिया है
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इस्लामी क्रांति के नेता हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई
पार्स टुडे – ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा: प्रतिबंधों के कारण हम उन कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर हो गए हैं जिनमें पहले आत्मनिर्भरता नहीं थी।
पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार इस्लामी क्रांति के नेता हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ۱۳۹۰/۰۶/۰۶ हिजरी शम्सी को इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल के सदस्यों से मुलाक़ात के दौरान कहा: उन लोगों ने कहा था कि ये प्रतिबंध अपंग करने वाले प्रतिबंध हैं लेकिन हम देखते हैं कि ये प्रतिबंध न तो अपंग करने वाले थे और न ही इस सीमा तक विनाशकारी। इन्हीं प्रतिबंधों ने हमें उन बहुत-सी चीज़ों में आत्मनिर्भर बना दिया जिनमें पहले आत्मनिर्भरता नहीं थी, हमने वैज्ञानिक क्षेत्रों में अच्छी प्रगति की, औद्योगिक, सैन्य और असैन्य उत्पादन के क्षेत्रों में बड़े कार्यों के साक्षी बने और इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि इन प्रतिबंधों को निष्प्रभावी करने के अनेक रास्ते मौजूद हैं।
जनता-आधारित, आत्मनिर्भर और कारगर सैन्य शक्ति का होना
इमाम ख़ामेनेई ने ۱۳۷۶/۰۷/۰۵ हिजरी शम्सी को ज़ुल्फ़िकार सैन्य अभ्यास में उपस्थित बलों से मुलाक़ात के दौरान ज़ोर देकर कहा थाः उन देशों के लिए जो शक्तियों की धमकियों का सामना करते हैं, सैन्य शक्ति रखना सबसे आवश्यक कर्तव्यों में से एक है। आज यह बात केवल इस्लामी गणराज्य ईरान के लिए ही नहीं है। सभी देश जो बड़ी शक्तियों के हस्तक्षेप से सुरक्षित रहना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले अपनी राजनीतिक व्यवस्था को जनता पर आधारित बनाना चाहिए और दूसरे, जनता-आधारित, आत्मनिर्भर और कारगर सैन्य शक्ति से सुसज्जित होना चाहिए। लेकिन वे यानी दुश्मन शक्तियाँ ऐसा नहीं चाहतीं।
अमेरिका ईरान-विरोधी प्रतिबंधों में असफल रहा
इसी संदर्भ में इस्लामी क्रांति के नेता ने ۱۳۹۷/۰۸/۱۲ हिजरी शम्सी को विद्यार्थियों और छात्रों से मुलाक़ात के दौरान कहा: अमेरिका का उद्देश्य प्रतिबंधों के माध्यम से ईरान को अपंग करना और पीछे रखना था। उसने प्रतिबंध इसलिए लगाए ताकि देश की अर्थव्यवस्था को पंगु बना सके, देश को निष्क्रिय कर सके और विकास को रोक दे लेकिन परिणाम क्या हुआ? परिणाम यह हुआ कि देश में आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति की गति बढ़ गई। हम अभ्यस्त हो गए थे वर्षों तक ईरानी राष्ट्र इस बात का आदी रहा कि हर चीज़ आयात करे। अब, उन्हीं प्रतिबंधों की बदौलत, हम इस बात के आदी हो गए हैं कि पहले स्वयं निर्माण और उत्पादन की ओर जाएँ। चूँकि हम पर प्रतिबंध लगाए गए, इसलिए हमने अपनी आवश्यकताओं को स्वयं पूरा करने का विचार किया। इस प्रकार प्रतिबंध हमारे लिए लाभदायक साबित हुए यानी अमेरिका इस नीति में भी असफल रहा। देखिए, ये अमेरिकी पक्ष की लगातार होती पराजयें हैं। mm