Mar २२, २०२२ १७:१५ Asia/Kolkata

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने सोमवार को ईरानी नए साल के पहले दिन राष्ट्र को संबोधित करते हुए अपने भाषण में देश के आर्थिक मुद्दों की बात करते हुए महत्वपूर्ण बिंदुओं की ओर इशारा किया और उसपर बल दिया है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने नए साल के नारे “रोज़गार पैदा करने वाले नालेज बेस्ड प्रोडक्शन” की व्याख्या में, ग़रीबी की मुश्किल के हल और सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक तरक़्क़ी हासिल करने का रास्ता नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ने को बताया है। उन्होंने कहा कि देश के आर्थिक मामलों में सुधार के लिए हमें निर्णायक रूप से नालेज बेस्ड प्रोडक्शन की ओर बढ़ना होगा। सर्वोच्च नेता ने सोमवार के भाषण में अपने पिछले साल के नौरोज़ के भाषण का हवाला देते हुए, जिसमें उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को अमरीकी प्रतिबंधों से न जोड़ने की बात कही थी, कहा कि सौभाग्यवश देश की नई नीति दर्शाती है कि अमरीकी प्रतिबंधों के बाक़ी रहते प्रगति की जा सकती है, विदेश से व्यापार को बढ़ाया जा सकता है, क्षेत्रीय देशों से समझौते किए जा सकते हैं और तेल तथा अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियां अर्जित की जा सकती हैं।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई

नालेज बेस्ड प्रोडक्शन का मुद्दा, उत्पादन पर ध्यान और घरेलू क्षमता उन मुद्दों में से हैं जिन पर हाल के वर्षों में सर्वोच्च नेता ने हमेशा बल दिया है। उन्होंने अधिकारियों पर ध्यान देने और समस्याओं को हल करने के लिए व्यावहारिक समाधान अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही सभी क्षेत्रों में देश की प्रगति को गति देने पर ज़ोर दिया है। अयातुल्लाह ख़ामनेई ने पिछले साल सितंबर महीने में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रईसी और 13वीं कैबिनेट के सदस्यों के साथ हुई पहली बैठक में कहा था कि आर्थिक समस्याओं को हल करने में अस्थायी समाधान की तलाश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिबंधों के समाप्त होने का इंतेज़ार न करें, क्योंकि प्रतिबंधों को हटाना हमारे और आपके हाथ में नहीं है, बल्कि यह दूसरों के हाथ में है। ऐसी स्थिति में हमे प्रतिबंधों को मानते हुए समस्याओं को हल करने की ऐसी योजना बनानी चाहिए जो ईश्वर की कृपा से प्रतिबंधों के बावजूद आर्थिक समस्याओं को दूर कर सके।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई

इस्लामी गणतंत्र ईरान वर्ष 1979 से इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद से दुश्मनों द्वारा राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सैन्य दबावों का निशाना बना रहा है। हालिया वर्षों में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने, ईरान को वैज्ञानिक प्रगति से रोकने और लगातार राष्ट्रीय और क्षेत्रीय शक्ति में होती वृद्धि पर ब्रेक लगाने में विफल रहने के बाद ईरान पर अधिकतम प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका की इस अधिकतम दबाव वाली नीति का लक्ष्य था कि वह ईरान की अर्थव्यवस्था को कमज़ोर कर सके और देश की जनता में असंतोष पैदा करके इस्लामी व्यवस्था को क्षति पहुंचा सके। ऐसी स्थिति में क्षेत्र में ईरान की विशाल आंतरिक क्षमताओं और भू-राजनीतिक स्थिति पर गंभीरता से ध्यान देने और देश के आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए इसका उपयोग करने के लिए इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता के बयानों के महत्व को दर्शाता है।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई

यही कारण है कि प्रतिबंधों के संदर्भ में देश की अर्थव्यवस्था के महत्व और इसे प्रभावित करने वाले कारकों पर विचार करते हुए, इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने अपने नौरोज़ के भाषणों में, पिछले दशक में आर्थिक विषय को सर्वोपरि रखा है। इसी तरह इस नए साल में भी उन्होंने नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था का जो नारा दिया है, उसके संबंध में वे कहते हैं कि इस साल भी आर्थिक नारे को चुनने की वजह, अर्थव्यवस्था का मुख्य मुद्दा होना और पिछले दशक की आर्थिक चुनौतियां हैं कि जिनसे निपटने का रास्ता सही उपाय, काम और आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि न्यायपूर्ण आर्थिक तरक़्क़ी और ग़रीबी की मुश्किल को हल करने का रास्ता नॉलेज बेस्ड प्रोडक्शन से गुज़रता है। उन्होंने नॉलेज बेस्ड कंपनी की तादाद बढ़ाने पर ताकीद की और इस लक्ष्य का हासिल होना मुमकिन बताया। (RZ)

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