वर्चस्ववादी पश्चिम हर जगह कमज़ोर होता जा रहा हैः वरिष्ठ नेता
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आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि पश्चिम हमारे संवेदनशील क्षेत्र में कमज़ोर हुआ है और यही हाल उसका विश्व के दूसरे क्षेत्रों में भी हो रहा है।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Jul ०८, २०२२ १४:४२ Asia/Kolkata
  • वर्चस्ववादी पश्चिम हर जगह कमज़ोर होता जा रहा हैः वरिष्ठ नेता

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि पश्चिम हमारे संवेदनशील क्षेत्र में कमज़ोर हुआ है और यही हाल उसका विश्व के दूसरे क्षेत्रों में भी हो रहा है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने हज के अपने संदेश में कहा कि वर्तमान समय में पश्चिमी सभ्यता के महत्वपूर्ण उपहार के रूप में लिबरलिज़्म और कम्यूनिज़्म, विगत के अपने आकर्षण को खो चुके हैं।  पैसों पर केन्द्रित पश्चिमी लोकतंत्र की साख पर बहुत ही गंभीर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं।  पश्चिमी बुद्धिजीवी इस बात को अब स्वीकार कर रहे हैं कि उनके सामने पहचान का संकट है।

वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अमरीका और उसके अपराधी सहयोगी अर्थात अवैध ज़ायोनी शासन की विफलता और परेशानी को फ़िलिस्तीन, लेबनान, सीरिया, इराक़, यमन और अफ़ग़ानिस्तान में घटने वाली घटनाओं में बहुत ही स्पष्ट रूप में देखा जा सकता है।  उन्होंने इस्लामी जागृति तथा जागरूकता के ज़बरदस्त परिणामों का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका एक ज्वलंत उदाहरण फ़िलिस्तीन है जिसने आक्रमणकारी अवैध ज़ायोनी शासन को अब रक्षात्मक मुद्रा में पहुंचा दिया है।  अब वह इस स्थति में आने पर मजबूर हुआ है।  वर्तमान समय में यह अवैध शासन सुरक्षा, आर्थिक,और राजनीतिक समस्याओं में बुरी तरह से घिर चुका है।  प्रतिरोध के अच्छे परिणामों को हम लेबनान, इराक, यमन और अन्य क्षेत्रों में बहुत ही स्पष्ट ढंग से देख सकते हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि वर्तमान समय में विश्व, ईरान में इस्लाम की शक्ति और इस्लामी शासन के सफल उदाहरण को देख रहा है।  उन्होंने कहा कि इस मूल नियम की सूचि में सर्वोपरि क़ानून बनाने और उसको क्रियान्वित करने में जनता के मतों पर भरोस के साथ ही राजनीतिक स्वावलंबन तथा अत्याचारी शक्तियों की ओर न झुकने को दृष्टिगत रखा गया है।  यही नियम मुसलमान राष्ट्रों तथा सरकारों के एकजुट होने का आधार बन सकते हैं जो इस्लामी जगत को परस्पर सहयोग के लिए संगठित करने की भूमिका हैं।

आपने एकता तथा आध्यात्मिकता को हज के दो मूल स्तंभ बताया जो इस्लामी जगत के सम्मान और कल्याण का कारण हैं।  वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी जगत में ऊर्जावान तथा प्रेरित करने वाले युवाओं की कमी नहीं है।  वे कहते हैं कि यह भविष्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण पूंजी है।  हम सबकी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम इस पूंजी की रक्षा करते हुए उसमें वृद्धि करें।

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