तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान का तेहरान दौरा
(last modified Sun, 17 Jul 2022 07:46:54 GMT )
Jul १७, २०२२ १३:१६ Asia/Kolkata

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान एक उच्च स्तरीय शिष्ट मंडल के साथ सोमवार की शाम तेहरान पहुंच रहे हैं।

ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी के निमंत्रण पर होने वाले इस दौरे में दोनों देशों के अधिकारी आर्थिक, राजनैतिक और पड़ोस के विषयों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इसके साथ ही अर्दोग़ान आस्ताना शांति प्रक्रिया के गैरेंटर देशों यानी ईरान, तुर्की और रूस की सातवीं शिखर बैठक में भाग लेंगे।

रजब तैयब अर्दोग़ान का औपचारिक स्वागत मंगलवार की सुबह सादाबाद महल में किया जाएगा। अर्दोग़ान का यह दौरा तब हो रहा है कि जब रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतीन भी तेहरान पहुंच रहे हैं जो तीनों देशों के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस शिखर बैठक में सीरिया संकट का जायज़ा लिया जाएगा। इसलिए तेहरान में होने वाली यह शिखर बैठक तीनों देशों के साथ ही इलाक़े के देशों के लिए भी ख़ास महत्व रखती है।

ईरान और तुर्की दो पड़ोसी इस्लामी देश हैं इन देशों के आपसी रिश्ते और सहयोग का क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा महत्व है। दोनों देशों ने हालिया वर्षों में यह साबित किया है कि क्षेत्र के देशों के लिए वे प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं जबकि बाहर से आने वाली शक्तियां इस इलाक़े से अपनी बिसात समेट लें। ईरान और तुर्की रूस के साथ मिलकर इस इलाक़े की समस्याओं को हल कर सकते हैं और सीरिया जैसे संकट का टिकाऊ समाधान निकाल सकते हैं।

यह भी सच्चाई है कि कुछ समस्याएं एसी हैं जिनका समाधान निकाला जाना ज़रूरी है मगर यह ही निश्चित है कि इन समस्याओं का समाधान यह देश मिल जुल कर निकाल सकते हैं। सीरिया में इस समय ईरान और रूस के सलाहकार मौजूद हैं जो सीरियाई सरकार की दावत पर वहां गए हैं और सेवाएं दे रहे हैं। वहीं सीरिया की धरती पर तुर्की सेना की मौजूदगी पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी है इसलिए तुर्क सैनिकों को बहुत जल्द यहां से निकलने पर मजबूर होना पड़ेगा। तुर्की ने अमरीका और कुछ अरब सरकारों की साज़िश का हिस्सा बनकर सीरियाई सरकार को गिराने की कोशिश की और इसी बीच उसने अपने सैनिक भी सीरिया के भीतर पहुंचा दिए। ज़ाहिर है कि तुर्की का यह क़दम किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है।

बहरहाल तुर्क राष्ट्रपति का तेहरान दौरा द्विपक्षीय सहयोग की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि दोनों देशों के अगले एक साल के दौरान आपसी सहयोग के विस्तार की योजना को आगे बढ़ाना है। वहीं ईरान, रूस और तुर्की की शिखर बैठक भी बहुत महत्वपूर्ण है। अगर इस शिखर बैठक के फ़ैसलों पर अमल होता है तो अमरीका को इस इलाक़े से वापस भेजने में बड़ी मदद मिलेगी।

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