तेहरान की शिखर बैठक और उसकी उपलब्धियां
तेहरान मे आयोजित आस्ताना बैठक की उपलब्धियों में सीरिया सरकार के बारे में लिया गया फैसला इस बैठक की उपलब्धियों में शामिल है।
सातवीं आसताना बैठक में भाग लेने वाले राष्ट्राध्यक्षों के लिए इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई के सुझाव बहुत ही प्रभावी रहे हैं। उनके यह सुझाव सीरिया की सरकार और उससे संबन्ध रखने वाली सरकारों के लिए एक प्रकार का मानदंड माने जा सकते हैं।
तेहरान के शिखर सम्मेलन से वापस जाने के बाद तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान ने तुर्की से अमरीकी सैनिकों की तत्काल वापसी की बात कही है। उन्होंने कहा कि सीरिया से अमरीकी सैनिकों की वापसी को तेहरान की आसताना बैठक की उपलब्धि कहा जा सकता हैै क्योंकि अमरीका, पूर्वी फोरात में आतंकी गुटों का आर्थिक और सैन्य समर्थन करता है।
अमरीकी सैनिक सीरिया से तेल की चोरी करके उससे आतंकी गुटों को पोषित करते हैं। स्वभाविक सी बात है कि यह चीज़ सीरिया के लिए हानिकारक है। यही मुद्दा क्षेत्र के स्वतंत्र राष्ट्रों और देशों के लिए भविष्य में कई प्रकार की समस्याएं पैदा कर सकता है। अनुभव यह बताता है कि गठबंधन बनाने के लिए अमरीका की ओर दोस्ती का हाथ फैलाने वालों को हमेशा नुक़सान हुआ है।
तेहरान में आयोजित आसताना शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले राष्ट्राध्यक्षों के साथ भेंट में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने सीरिया की संप्रभुता की रक्षा को बहुत महत्वपूर्ण बताया। उत्तरी सीरिया पर होने वाले हमले के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह काम सीरिया, तुर्की और क्षेत्र सबके लिए नुक़सानदेह है। इस मुलाकात में सर्वोच्च नेता ने सीरिया के मामले को बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि फोरात के पूर्वी क्षेत्र का अमेरिकियों द्वारा अतिग्रहण का समाधान वहां से अमेरिकियों को बाहर निकाल कर किया जाना चाहिये।
वरिष्ठ नेता ने आतंकवादी गुटों के प्रति तुर्की के राष्ट्रपति की घृणा पर आधारित बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि आतंकवाद का निश्चित रूप में मुक़ाबला करना चाहिए लेकिन इस बात को भी समझना चाहिए कि सीरिया पर हमला, आतंकवादियों के हित में है। आतंकवादी किसी एक गुट से विशेष नहीं हैं। वरिष्ठ नेता के अुनसार सैन्य आक्रमण करके सीरिया की वैध सरकार को कमज़ोर करने का नुक़सान पूरे क्षेत्र को होगा और इसका लाभ विदेशियों को ही होगा।
वैसे तुर्की की ओर से सीरिया के एक भाग पर सैनिक हमले के बारे में तुर्की के विपक्षी दल इस देश के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान को पहले ही चेतावनी दे चुके हैं। हालांकि एसा नहीं लगता कि तुर्की की सरकार ने उनकी बातों को गंभीरता से लिया है। ज्ञात रहे कि तुर्की की सेना आतंकवाद से मुक़ाबले के बहाने उत्तरी और पूर्वोत्तरी सीरिया के कुछ क्षेत्रों को अपने नियंत्रण मे लिए हुए है। सीरिया की सरकार इसको अपने देश की संप्रभुता के हनन के रूप में देखती है।
तुर्की के राष्ट्रपति के हालिया बयान से यह निष्कर्श निकलता है कि तेहरान बैठक के बाद अंकारा सरकार बश्शार असद की वैध सरकार को कमज़ोर करना नहीं चाहेगी। इस बात को भी तेहरान में आयोजित शिखर सम्मेलन की एक उपलब्धि माना जा सकता है।
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