प्रतिबंधों को लेकर ईरान के विरुद्ध ब्रिटेन की अभूतपूर्व कार्यवाही
ईरान के विरुद्ध अमरीका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के साथ ब्रिटेन ने भी कुछ नए प्रतिबंध लगाए हैं।
ब्रिटेन ने ईरान के पांच लोगों और दो संस्थाओं को प्रतिबंधित किया है। लंदन की ओर से लगाए जाने वाले प्रतिबंधों में इस्लामी गणतंत्र ईरान की थलसेना प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल क्यूमर्स हैदरी भी शामिल हैं। प्रतिबंधों के हिसाब से पिछले चार दशकों से भी अधिक समय में यह अभूतपूर्व प्रतिबंध है।
ईरान पर ब्रिटेन के हालिया प्रतिबंधों के बारे में इस देश के विदेशमंत्री जेम्स क्लेवरली ने कहा, उन्ही के कथनानुसार, जिनपर आज प्रतिबंध लगाए गए हैं वे सब ईरानी जनता के दमन में शामिल रहे हैं। एसा लग रहा है कि ब्रिटेन की ओर से यह क़दम, सेना और आईआरजीसी को केन्द्र में रखते हुए उठाया जा रहा है क्योंकि ब्रिगेडियर जनरल क्यूमर्स हैदरी ने हालिया उपद्रव के दौरान उपद्रवियों के साथ कड़ाई से व्यवहार करने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि जब से इस्लामी क्रांति आई है तब से दुश्मन, इस क्रांति के विरुद्ध षडयंत्र रचते चले आ रहे हैं। हालांकि वे अबतक कुछ नहीं करपाए और आगे भी कुछ नहीं कर पाएंगे।
ईरान की थलसेना के प्रमुख को ब्रिटेन की ओर से प्रतिबंधित करने की कार्यवाही से ज्ञात होता है कि इसका संबन्ध में ईरान में हाल में होने वाले उपद्रवों से है। इस प्रकार का काम बहुत कम ही होता है और दुनिया में इस जैसे उदाहरण बहुत मुश्किल से ही मिल पाएंगे। इस प्रकार के कामों से ईरान के प्रति ब्रिटेन के द्वेष का पता चलता है। ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद इस देश में ब्रिटिश हितों को गहरी चोट पहुंची और शताब्दियों से उसके द्वारा की जाने वाली लूट-खसोट पर रोक लग गई। ईरान से ब्रिटेन की दुश्मनी का एक कारण यह भी है।
वैसे इस समय ब्रिटेन, अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस काम का अनुसरण कर रहा है जिसके अन्तर्गत उसने ईरान की इस्लामी क्रांति के संरक्षक बल आईआरजीसी को प्रतिबंधित कर दिया था। अगर ग़ौर किया जाए तो पता चलेगा कि यूरोपीय संसद द्वारा आईआरजीसी को प्रतिबंधित करना और ब्रिटेन की ओर से ईरान की थलसेना प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल क्यूमर्स हैदरी पर पाबंदी, वास्तव में ईरान के ख़िलाफ़ पश्चिमी षडयंत्रों का ही भाग है जिसको अमरीका के नेतृत्व में किया जा रहा है।
ईरान में हालिया अशांति को देखते हुए पश्चिम ने ईरान की इस्लामी शासन व्यवस्था को कमज़ोर करने के उद्देश्य से कुछ हथकण्डे अपनाए थे जो पूरी तरह से विफल सिद्ध हुए।वर्तमान समय में ब्रिटेन यह सोच रहा है कि अमरीका की सेवा करके वह संयुक्त राज्य अमरीका से अपने दृष्टिगत कुछ विशिष्टताओं को हासिल कर सकता है।
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