जर्मनी पर ईरान की बड़ी कार्रवाई, दो राजनयिकों को निकाला
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इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने देश से दो जर्मन राजनयिकों को अवांछित तत्वों के रूप में निष्कासित करने की घोषणा करते हुए कहा कि इन दोनों राजनयिकों को देश के आंतरिक और न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप की वजह से देश से निकाल दिया गया है।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Mar ०२, २०२३ १३:५० Asia/Kolkata

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने देश से दो जर्मन राजनयिकों को अवांछित तत्वों के रूप में निष्कासित करने की घोषणा करते हुए कहा कि इन दोनों राजनयिकों को देश के आंतरिक और न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप की वजह से देश से निकाल दिया गया है।

उन्होंने ईरान के विदेश मंत्रालय में जर्मन राजदूत को तलब किए जाने और देश की ओर से की गयी आपत्ति से उन्हें अवगत कराए जाने की घोषणा की और कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान विस्तारवादियों के के ख़िलाफ निर्णायक और पूरी ताक़त से कार्रवाई करेगा।

कनआनी ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की प्राथमिकता हमेशा आपसी सम्मान के माहौल में बातचीत का वातावरण बनाए रखना है लेकिन अगर कुछ पक्ष ईरान के सैद्धांतिक मानकों और राष्ट्रीय संप्रभुता की अनदेखी करना चाहते हैं तो वैकल्पिक विकल्पों को परिभाषित करना बहुत ही ज़रूरी होता है।

कुछ दिनों पहले जर्मन विदेश मंत्रालय ने बर्लिन में ईरान के चार्ज डी अफ़ेयर्स को तलब करते हुए ईरानी-जर्मन नागरिक और आतंकवादी गुट के सरग़ना "जमशेद शारमहद की सज़ाए के आदेश के बाद ईरान के दो राजनयिकों को अवांछनीय तत्व क़रार देकर देश से निकलने का आदेश दिया था।

बर्लिन की कार्रवाई न केवल ईरान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का एक स्पष्ट उदाहरण है बल्कि आतंकवाद के लिए जर्मनी का प्रत्यक्ष समर्थन और आतंकवाद के बारे पश्चिम के दोहरे मानकों की पुष्टि भी करता है। आतंकवादी गुट के सरग़ना जमशेद शारमहद को 21 फ़रवरी को तेहरान की अदालत ने आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने और हमले करने के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई थी।

जमशेद शारमहद आतंकवादी गुट तुंदर का सरग़ना है और उसे पश्चिमी देशों का आर्थिक और सामरिक समर्थिन हासिल है। इस सरग़ना ने अपने आतंकी तत्वों को विस्फोटक और आतंकवादी कार्रवाई करने के आदेश जारी किए थे।

इस्लामी गणराज्य ईरान की जनता के प्रति जर्मनी के शत्रुतापूर्ण दृष्टिकोण के बारे में उल्लेख किया जाने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा इराक़ के बासी शासन के लिए बर्लिन की व्यापक सहायता है जो थोपे गये युद्ध के दौरान रासायनिक हथियारों के विकास और उत्पादन और उपयोग के लिए की गयी थी। (AK)

 

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