Jul १६, २०२३ १५:३० Asia/Kolkata

रूस के उपविदेशमंत्री और पश्चिम एशिया और अफ्रीकी देशों के मामलों में रूसी राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधि मीखाईल बोग्दानोफ़ ने ईरान को दोस्त देश कहा है। उन्होंने यह बात मास्को में ईरानी राजदूत क़ाज़िम जलाली से मुलाकात में कही। साथ ही बोग्दानोफ़ ने ईरान की संप्रभुता पर भी बल दिया है।

ईरान के तीन द्वीपों अबू मूसा, तुंबे कूचिक और तुंबे बुज़ुर्ग के बारे में ईरानी अधिकारियों की ओर से प्रतिक्रिया दिखाये जाने के बाद रूस की ओर से यह बयान सामने आया है। अभी हाल ही में फार्स खाड़ी की सहकारिता परिषद के सदस्य देशों के विदेशमंत्रियों की रूसी विदेशमंत्री के साथ मास्को में बैठक हुई थी जिसकी समाप्ति के बाद जो संयुक्त बयान जारी हुआ था उसमें कहा गया था कि तीन द्वीपों अबू मूसा, तुंबे कूचिक और तुंबे बुज़ुर्ग के संबंध में जो विवाद हैं उसका समाधान आपसी बातचीत से निकाला जाना चाहिये।

ईरानी अधिकारियों ने बारमबार कहा है कि अबू मूसा, तुंबे कूचिक और तुंबे बुज़ुर्ग ईरान के अटूट अंग हैं और इस संबंध में हर प्रकार का दावा निंदनीय है। ईरान और संयुक्त अरब इमारात के मध्य मतभेद का मुख्य विषय तीनों ईरानी द्वीप हैं। संयुक्त अरब इमारात का दावा है कि यह तीनों द्वीप उसके हैं और इस समय वे ईरान के नियंत्रण में हैं जबकि इस्लामी गणतंत्र ईरान का कहना है कि ये तीनों द्वीप हमारी भूमि के अटूटे अंग हैं और वह इस संबंध में हर प्रकार की वार्ता को रद्द करता है। विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि ये तीनों द्वीप हमेशा से ईरान के रहे हैं। इसी प्रकार विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी चाफी ने कहा कि इस संबंध में मास्को में जो बयान जारी हुआ वह पड़ोस और मित्रतापूर्ण संबंधों से विरोधाभास रखता है।

इस संबंध में रोचक बिन्दु यह है कि संयुक्त अरब इमारात ने तीनों ईरानी द्वीपों के संबंध में वर्ष 1980 में राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में शिकायत की थी जिसका उसे कोई परिणाम हाथ नहीं लगा तो इस समय वह इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय शक्तियों का समर्थन प्राप्त करने की चेष्टा में है। इसी संबंध में विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने अपने ट्वीट अकाउंट पर लिखा है कि देश की संप्रभुता के बारे में किसी से कोई समझौता नहीं। इसी बीच आज ईरान के संसदसभापति ने कहा है कि देश की संप्रभुता पर किसी से कोई समझौता नहीं किया जायेगा।

मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ ने कहा कि रूस खुद पश्चिम और नाटो की विस्तारवादी नीतियों की भेंट चढ़ा है और वह इस समय उनसे जंग कर रहा है उसे फार्स की खाड़ी की स्थिरता को कमज़ोर करने हेतु पश्चिम की GEOPOLITIC कार्यक्रम में मदद नहीं करना चाहिये।

समाचार एजेन्सी इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार आज संसद की खुली बैठक में उन्होंने तीन ईरानी द्वीपों के बारे में फार्स की खाड़ी और रूस की हालिया संयुक्त विज्ञप्ति की आलोचना की और कहा कि ईरान की संसद तीनों ईरानी द्वीपों के बारे में फार्स की खाड़ी और रूस की संयुक्त विज्ञप्ति को कड़ाई से रद्द करती है।

संसदसभापति ने बल देकर कहा कि हम रूस सहित ईरान के पड़ोसी देशों से एलान करके कहते हैं कि क्षेत्र की स्थिरता और आर्थिक विकास उसी स्थिति में संभव है जब ईरान की संप्रभुता का सम्मान किया जायेगा और अच्छे पड़ोस के सिद्धांतों का ध्यान रखा जायेगा। उन्होंने बल देकर कहा कि केवल ईरान है जो फार्स की खाड़ी की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाता और क्षेत्र के इस संवेदनशील क्षेत्र में पश्चिम के खतरनाक कार्यक्रमों को नाकाम बनाता है।

उन्होंने कहा कि ईरान और रूस क्षेत्र के दो महत्वपूर्ण देश हैं और संयुक्त हितों के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में एक दूसरे से सहयोग कर रहे हैं परंतु पड़ोसी देश रूस को जानना चाहिये कि सहयोग व सहकारिता का रास्ता ईरान की संप्रभुता और रेड लाइन के सम्मान के मार्ग से होकर गुज़रता है। उन्होंने कहा कि ठोस एतिहासिक दस्तावेज़ मौजूद हैं जो इस बात के प्रमाण व गवाह हैं कि इन द्वीपों का संबंध ईरान से है और राजनीतिक विज्ञप्ति एतिहासिक वास्तविकता को प्रभावित नहीं कर सकती। MM

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