Sep १४, २०२३ १०:२१ Asia/Kolkata
  • पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास और इमाम हसन की शहादत की बरसी, शोक में डूबा ईरान, पवित्र नगर मशहद में उमड़ा जनसैलाब

इस्लामी गणतंत्र ईरान में आज पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास और इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत की बर्सी मनाई जा रही है और पूरा ईरान शोकाकुल है।

आज गुरुवार हिजरी क़मरी वर्ष के दूसरे महीने सफ़र की 28 तारीख़ है। 28 सफ़र को ही पैग़म्बरे इस्लाम (स) का स्वर्गवास हुआ तथा उनके नाती हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम को भी इसी दिन मुआविया की साज़िश के नतीजे में ज़हर देकर शहीद कर दिया गया था। इस्लामी गणराज्य ईरान आज शोक में डूबा हुआ है। राजधानी तेहरान सहित सभी शहरों और गांवों में शोक सभाओं का सिलसिला बुधवार की रात से ही शुरू हो गया है जो अब तक जारी है। राजधानी तेहरान के सभी इमामबाड़ों और मस्जिदों में इसी उपलक्ष्य में शोक सभाओं का आयोजन किया गया है। पूर्वोत्तरी ईरान के मशहद नगर में पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े में श्रद्धालुओं की जनसैलाब उमड़ पड़ा है। चूंकि शनिवार को हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम का शहादत दिवस है इसलिए भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु कई दिन पहले से ही मशहद नगर पहुंच रहे हैं। पवित्र नगर क़ुम में भी हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की बहन हज़रत फ़ातेमा मासूमा के रौज़े में भी भारी श्रद्धालुओं में श्रद्धालु मौजूद हैं और शोक सभाओं का सिलसिला लगातार जारी है।

उल्लेखनीय है कि पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम अपने स्वर्गवास से पहले इस्लाम को परिपूर्ण धर्म के रूप में मानवता के सामने पेश कर चुके थे। पैग़म्बरे इस्लाम ने बड़े कठिन संघर्ष के साथ लोगों तक इस्लाम धर्म पहुंचाया और उसकी जीवनदायक शिक्षाओं को लागू किया। उन्होंने कहा था कि मुझको नैतिकता को उच्च स्थान तक पहुंचाने के लिए भेजा गया है। जिस समय पैग़म्बरे इस्लाम इस नश्वर संसार में आए उस समय अरब जगत में अज्ञानता का अंधेरा छाया हुआ था। ईश्वर के बारे में उस समय के अरब लोगों के विचार अंधविश्वासों पर आधारित थे। वे लोग ज्ञान से बहुत दूर थे। उस काल में महिलाओं को कोई विशेष महत्व प्राप्त नहीं था। पैग़म्बरे इस्लाम ने अपने जीवन में अथक प्रयास करते हुए अज्ञानता से संघर्ष किया और उस काल में व्याप्त अंधविश्वासों और कुरीतियों को दूर करने के लिए अन्तिम समय तक प्रयास किए। इसी तरह इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने भी पूरा जीवन इस्लाम और मुसलमानों की सेवा गुज़ार दिया। उन्होंने भी अपनी अंतिम सांस तक ईश्वरीय संदेश लोगों तक पहुंचाने के लिए काफ़ी संघर्ष किया। उन्हें आज के दिन 47 साल की उम्र में उनकी पत्नी के हाथों मुआविया ने शहीद करवा दिया था। ज्ञात रहे कि 28 सफ़र सन 11 हिजरी क़मरी को पैग़म्बरे इस्लाम इस दुनिया से चले गए जबकि 28 सफ़र सन 50 हिजरी क़मरी में इमाम हसन अलैहिस्सलाम को शहीद कर दिया गया। (RZ)

नोटः पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास और इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत दिवस के अवसर पर पार्सटुडे हिन्दी अपने सभी श्रोताओ और पाठकों की सेवा में हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है।

 

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