Dec १७, २०२३ २०:०५ Asia/Kolkata

मानवाधिकारों की रक्षा का दावा करने वाली अमेरिकी और ब्रिटिश सरकारों ने इस बार ईरान की इस्लामी क्रांति के सरंक्षक बल आईआरजीसी के कमांडरों के ख़िलाफ़ नए प्रतिबंध लगाकर ग़ज़्ज़ा के लोगों के ख़िलाफ़ अवैध आतंकी इस्राईली शासन द्वारा किए जा रहे जघन्य अपराधों के प्रति अपना समर्थन जारी रखा है।

ग़ज़्ज़ा पर अवैध आतंकी इस्राईली शासन द्वारा किए जाने वाले पाश्विक हमलों को लगभग 70 दिन बीत चुके हैं। इस युद्ध में शहीद और घायलों की संख्या लगभग 70 हज़ार तक पहुंच गई है। अमेरिका, ब्रिटेन समेत विभिन्न देशों की आम जनता, इस्राईल द्वारा अंजाम दिए जा रहे बर्बरतापूर्ण हमलों और अपराधों के ख़िलाफ़ हर दिन सड़कों पर उतर कर विरोध-प्रदर्शन कर रही है। कुछ स्वतंत्र सरकारों और कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने आधिकारिक तौर पर ग़ज़्ज़ा में जो हो रहा है उसे नरसंहार कहा है। इसके बावजूद, कुछ पश्चिमी सरकारों, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन ने ग़ज़्ज़ा पट्टी के ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन के युद्ध में तेल अवीव को हर तरह की सहायता प्रदान की है। सैन्य समर्थन के अलावा, इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में न केवल वीटो का सहारा लिया बल्कि राजनीतिक हथकंड़ों द्वारा ग़ाज़्ज़ा के लोगों के ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन के नरसंहार और अपराध को जारी रखने के लिए आधार प्रदान किया, साथ ही अब इसमें कोई शक नहीं रह गया है कि इस समय ग़ज़्ज़ा में हो रहे मासूम बच्चों, महिलाओं और आम नागरिकों के नरसंहार में ज़ायोनियों के साथ-साथ यह सभी सरकारें भी बराबर की भागीदार हैं।

इस बीच अमेरिका और ब्रिटेन ने आईआरजीसी के कमांडरों के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाकर ज़ायोनी शासन के प्रति समर्थन का एक और रूप दिखाया है। 15 दिसंबर को, ब्रिटिश सरकार ने हमास और जिहादे इस्लामी फ़िलिस्तीन के साथ कथित रूप से सहयोग करने के लिए आईआरजीसी की कुद्स फोर्स के कमांडर और 6 वरिष्ठ आईआरजीसी कमांडरों पर प्रतिबंध लगा दिया है। ब्रिटेन ने ईरान में हमास और जिहादे इस्लामी फ़िलिस्तीन के प्रतिनिधियों ख़ालिद क़दूमी और नासिर अबू शरीफ़ को भी प्रतिबंध सूची में डाल दिया। दूसरी ओर, अमेरिकी ट्रेज़री मंत्रालय ने इसी बहाने आईआरजीसी की कुद्स फोर्स के कई कमांडरों पर प्रतिबंध लगा दिया।

इन प्रतिबंधों को लागू करने का अर्थ है कि बल का तर्क विश्व व्यवस्था पर हावी है क्योंकि अमेरिका और ब्रिटेन ज़ायोनी शासन का पूरी तरह से समर्थन करते हैं और ग़ज़्ज़ा में युद्ध को रोकने के लिए सुरक्षा परिषद में किसी भी प्रस्ताव के अनुमोदन को रोकते हैं, लेकिन आईआरजीसी के कमांडरों पर हमास और जिहादे इस्लामी फ़िलिस्तीन का समर्थन करने पर प्रतिबंध लगा देते हैं। एक और मुद्दा यह है कि यह दावा ऐसी स्थिति में किया गया है जब ग़ज़्ज़ा 2007 से ज़ायोनी शासन द्वारा व्यापक घेराबंदी के तहत है, और मानवीय सहायता भेजना भी संभव नहीं है, सैन्य सहायता तो दूर की बात है। वाशिंगटन और लंदन के व्यवहार से पता चलता है कि मुसलमानों के नरसंहार को इन देशों का समर्थन प्राप्त है। दूसरी ओर, इन व्यवहारों से पता चलता है कि ग़ज़्ज़ा में युद्ध हमास और ज़ायोनी शासन के बीच युद्ध नहीं है, जैसा कि इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने बार-बार बताया है, बल्कि मुसलमानों के ख़िलाफ़ पश्चिम का युद्ध है। आईआरजीसी के कमांडरों और प्रतिरोध से जुड़े तत्वों के ख़िलाफ़ प्रतिबंध, इस्लामी गणतंत्र ईरान के नेतृत्व वाले प्रतिरोध के विरुद्ध ज़ायोनी शासन और उसके समर्थकों का भय और अक्षमता को दर्शाते है। आईआरजीसी की क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडरों के ख़िलाफ़ अमेरिकी और ब्रिटिश प्रतिबंधों की निंदा करते हुए ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने कहा है कि ईरान और उसके आधिकारिक और क़ानूनी सशस्त्र बल, जिनमें आईआरजीसी की क़ुद्स फोर्स भी शामिल है, हमेशा आतंकवादी समूहों और उनके समर्थक शासनों के लिए डरावना सपना बनी रहेंगी। (RZ)

हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए

हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिए!

ट्वीटर पर हमें फ़ालो कीजिए 

फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक करें।      

टैग्स