Feb ०२, २०२४ २०:२१ Asia/Kolkata

ईरान की इस्लामी क्रांति के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी की बेटी डॉक्टर ज़हरा मुस्तफ़वी ने इस्राईल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने वाले मुस्लिम व अरब देशों को बहुत पहले ही चेतावनी देते हुए कहा था कि वह ऐसा करके न केवल फ़िलिस्तीनी राष्ट्र बल्कि पूरी दुनिया के मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं।

ईरान की इस्लामी क्रांति के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की बेटी डॉक्टर ज़हरा मुस्तफ़वी ने लगभग चार वर्ष पहले उन अरब और मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों के नाम एक खुला ख़त लिखा था कि  जो अवैध आतंकी इस्राईली शासन को औपचारिकता प्रदान करने की कोशिशों में लगे हुए थे और उसके साथ संबंधों को सामान्य बनाने का समझौता कर रहे थे और कुछ ने तो कर भी लिया है। इमाम ख़ुमैनी की बेटी ने ज़ायोनियों के हाथों बैतुल मुक़द्दस और मस्जिदुल अक़सा का सौदा करने वाले मुस्लिम राष्ट्राध्यक्षों को चेतावनी देते हुए कहा था कि वे अपने इस क़दम से एक अरब से ज़्यादा मुसलमानों की भावनाओं को आहत कर रहे हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि इस्लामी राष्ट्र पिछले 72 वर्षों से ज़ायोनी शासन के अत्याचारों और युद्ध अपराधों के ख़िलाफ़ कोई प्रभावशाली और निर्णायक क़दम उठाने में असफल रहे हैं। फ़िलिस्तीनी नागरिक पिछले 72 वर्षों से ज़ायोनी अत्याचारों का सामना कर रहे हैं और उन्हें बेघर हुए सात दशकों से ज़्यादा का समय बीत रहा है, लेकिन मुस्लिम नेता उनके मूल अधिकारों की रक्षा में नाकाम रहे हैं।

डॉक्टर मुस्तफ़वी ने फ़िलिस्तीनियों की सरज़मीन हड़प करने वाले ज़ायोनियों के साथ सहयोग को मानवता के दुश्मनों के साथ सहयोग बताया और कहा कि वह दिन दूर नहीं है, जब ऐसी ग़लती करने वाले मुस्लिम देशों की जनता अपने नेताओं को सबक़ सिखाएगी। उन्होंने अरब और मुस्लिम दशों को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह अक़्ल के नाख़ून लें और होश में आ जाएं इससे पहले के बहुत देर हो जाए और उन्हें पछताने का भी मौक़ा न मिले। वहीं सात अक्तूबर 2023 के बाद जिस प्रकार और जिस नफ़रत के साथ आतंकी इस्राईली शासन मज़लूम फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार कर रहा है उसको देखते हुए यह बात पूरी तरह सच साबित होती है कि आज ज़ायोनी शासन जो इतनी दुस्साहसी हुआ है और खुले आम मासूम फ़िलिस्तीनी बच्चों की हत्या करने और महिलाओं एवं पुरुषों का नरसंहार कर रहा है वह कहीं न कहीं मुस्लिम, विशेषकर अरब देशों की नकारापन की वजह से ही है।

उल्लेखनीय है कि 13 अगस्त 2020 को अमेरिका के तात्कालीन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने इस्राईल और यूएई के बीच तथाकथित शांति समझौते का एलान किया था, जिसके बाद अबू-धाबी ने दावा किया था कि वेस्ट बैंक को इस्राईली क़ब्ज़े से बचाने के लिए उसने यह क़दम उठाया है। हालांकि इसके तुरंत बाद ही नेतनयाहू ने स्पष्ट कर दिया था कि वेस्ट बैंक के विलय की उनकी योजना हमेशा उनकी मेज़ पर रहेगी। फ़िलिस्तीन के क़रीब समस्त नेताओं ने एकमत होकर इस्राईल और यूएई के बीच संबंधों का सामान्य बनाने के समझौते की निंदा की थी और इसे फ़िलिस्तीनियों के साथ ग़द्दारी, मस्जिदुल अक़सा का सौदा करना और मुसलमानों की पीठ में छुपा घोंपना क़रार दिया था। (RZ)

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