इस्राईल के उन्मादी हमले के बारे में एक्स पर भेजे गए 10 चुने हुए पोस्ट
इस्राईल के उन्मादी हमले के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर दस चुने हुए पोस्ट इस प्रकार हैं।
पार्सटुडे-वे लोग जो सोशल मीडिया के पूर्व प्लेटफार्म ट्वीटर और वर्तमान में एक्स का प्रयोग कर रहे हैं उन्होंने सीरिया में ईरान के काउन्सलेट पर इस्राईल के उन्मादी हमले के बारे में अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं। इस संबन्ध में यहां पर हम एक्स पर दस चुने हुए संदेशों को पेश कर रहे हैं।
1-इस्राईल की आपूर्ति करने वाला अमरीकाः
एक्स पर सक्रिय अमरीकी पत्रकार Andre Damon अमरीका को इस्राईल का हमेशा का समर्थक बताते हैं।
वे लिखते हैं कि आज अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से पूछा गया कि अमरीका ने इस्राईल को क्यों 2000 पाउंड के बम दिये जबकि ग़ज़्ज़ा तो खण्हर बन चुका है। मैथयू मिलर ने जवाब में कहा कि इस्राईल को ईरान का मुक़ाबला करने के लिए बम की ज़रूरत है। यह घटना उसी दिन घटी जब इस्राईल ने ईरान के दूतावास पर बमबारी की।
2-ईरान की ओर से कड़े जवाब की ज़रूरतः
ईरानी मूल के लेबनानी लेखक क़ाना ने पोस्ट करके ज़ायोनी अपराधों के मुक़बाले में ईरान की ओर से कड़े जवाब की ज़रूरत को बताया है।
क़ाना लिखते हैं कि एक खुले युद्ध से हर प्रकार की अपेक्षा की जाती है लेकिन कभी-कभी दुश्मन को एक गहरी चोट लगाने की ज़रूरत होती है। इस्राईल ने दमिश्क़ में ईरानी काउन्सलेट को लक्ष्य बनाकर जो काम किया है वह केवल एक हमला नहीं है बल्कि वह दुस्साहस है। ईरान को चाहिए कि वह स्पष्ट और निर्भीक ढंग से जवाब दे।
3-अमरीका द्वारा पोषितों की विशेषता है क़ानून से भागनाः
एक अमरीकी पत्रकार एवं लेखक Ben Ehrenreich क़ानून से भागने को इस्राईल सहित अमरीका द्वारा पोषितों की विशेषता बताते हैं।
वे लिखते हैं कि वर्तमान समय में एक दूतावास पर हमला,। अमरीका ने जिन अवैध उदंडी शासनों को अपना रखा है उनमे से कोई अभी तक इतना गिरा हुआ और दुस्साहसी नहीं था।
4-सरकारी आतंकवाद के विस्तार में विस्तारः
एक ईरानी शोधकर्ता अफ़ीफ़े आबेदी ने एक्स पर इस्राईल के अप्रैल 2024 के पागलपन को सरकारी आतंकवाद में विस्तार जैसा बताया है।
एक्स पर वे लिखती हैं कि दूसरे देशों के कूटनीतिक हितों पर हमले के लिए ख़ुफ़िया तालमेल यहां तक कि सैन्स गठजोड़, सरकारी आतंकवाद में रणनीतिक भागीदारी के अतिरिक्त कुछ और नहीं है। अब इस समय अमरीका इस अशुभ प्रक्रिया का अगुवा बनता जा रहा है।
5-ग़ज़्ज़ा की दलदल में फंसा ज़ायोनी शासनः
एक ईरानी निर्माता हुसैन हद्दाद, अपने ट्वीट में सीरिया में ईरान के काउन्सलेट पर हमले जैसे अपराध को, तेलअवीव के ग़ज़्ज़ा की दलदल में फंस जाने की वजह बताते हैं।
एक्स पर हुसैन हद्दाद लिखते हैं कि अब जबकि ग़ज़्ज़ा की दलदल में अवैध ज़ायोनी शासन बुरी तरह से फंस चुका है तो वह इन हमलों के माध्यम से कोई नई उपलब्धि हासिल करना चाहता है। हालांकि ज़ायोनियों ने बहुत बड़ी ग़लती की है जिसका उनको जवाब ज़रूर मिलेगा।
6-इस्राईल का रेडिकल होनाः
एक ईरानी पत्रकार हुसैन सारेमी ने इस हमले के बाद ईरान और ज़ायोनी शासन की परिस्थतियों की तुलना की है।
सारिम लिखते हैं कि ईरान की हालत एक वास्तविक पर्वत जैसी है जबकि ज़ायोनी शासन की स्थति, बर्फ के एक पहाड़ जैसी है। बर्फ के इस पहाड़ को अच्छी तरह से पता है कि थोड़ी सी गर्मी, उसके विनाश का कारण बन जाएगी।
इसीलिए वह आत्मघाती काम कर रहा है। उसका यह काम शक्ति के कारण नहीं बल्कि मजबूरी में उठाया गया क़दम है। इस्राईल, जितना भी अपने विनाश के निकट होता जाएगा वह रेडिकल बनता जाएगा।
7-एक दिन में इस्राईल के अपराधः
अमरीका के एक एक्स यूज़र jackson hinklle भी इस्राईल के इस अपराध की ओर संकेत करते हैं।
जैक्सन हिंकल लिखते हैं कि आज इस्राईल ने निम्न स्तर का काम किया। उसने राष्ट्रसंघ के उन पांच कर्मचारियों पर बमबारी कर दी जो सहायता के लिए खाद्ध सामग्री ले जा रहे थे।
ज़ायोनियों के अपराधों की रिपोर्टिंग करने के कारण अलजज़ीरा चैनेल की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया। अश्शफ़ा अस्पताल को नष्ट कर दिया और उसके भीतर बहुत से लोगों का जनसंहार किया। सीरिया में ईरान के दूतावास पर हमला करके वरिष्ठ सैन्य अधिकारों की हत्या कर दी।
8- इस्राईल को पश्चिमी देशों का ग्रीन सिग्नेलः
ईरान के पूर्वी मामलों के जानकार और प्रोफेसर, पश्चिम की ओर से इस्राईल को अपराध करने के लिए दिये गए ग्रीन सिग्नेल की कड़ी आलोचना करते हैं।
प्रोफेसर सैयद मुहम्मद मरंदी लिखते हैं कि दमिश्क़ में ईरान के दूतावास पर इस्राईल का हमला इसलिए किया गया क्योंकि पश्चिम ने ज़ायोनी शासन को हर प्रकार के पराध करने की छूट दे रखी है। दुनिया बदल चुकी है। पश्चिमी एशिया में जातीय वर्चस्व का कोई स्थान नहीं है।
9-बीबीसी की ओर से ज़ायोनियों के अपराधों का समर्थनः
ब्रिटेन के एक पत्रकार Richard Medhurst ने बीबीसी की ओर से ज़ायोनियों के अपराधों पर मीडिया के समर्थन की निंदा की है।
रिचर्ड मेडहर्सट लिखते हैं कि बीबीसी ने इस्राईल के हमले को जिस ढंग से पेश किया है उसको स्वीकार करना बहुत कठिन है क्योंकि सीरिया पर लगातार किये जा रहे हमलों की ज़िम्मेदारी से ज़ायोनियों को बचाया जा रहा है। शायद यह काम तंज़ानिया का हो या फिर चिली का कौन जानता है?
10- जनरल ज़ाहेदी का मिशन जारी रहेगाः
एक्स के एक अन्य यूज़र ने हमले में शहीद होने वालों को सम्मानित करते हुए उनके मार्ग का अर्थ बताया है पश्चिमी एशिया में शांति की स्थापना और दाइश के समर्थकों के विरुद्ध संघर्ष करना।
इस यूज़र का लिखना है कि हमारा एक कमांडर, ज़ायोनियों के मुक़ाबले में एक सेना की तरह है। वे हमारे कमांडरों से इतना अधिक भयभीत है कि अब केवल उन्हीं को ही लक्ष्य बना रहे हैं।
हालांकि उनको यह पता नहीं है कि हमारा कोई भी कमांडर जब शहीद होता है तो देश में कई अन्य कमांडर सामने आते हैं और वे जनरल ज़ाहेदी जैसों के मार्ग पर आगे बढ़ते रहेंगे।
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