May ०१, २०२४ ०९:२१ Asia/Kolkata
  • मलिका, सनाई के शब्दों और चाउशी की आवाज़ में ईश्वर की महिमा का गुणगान

मलिका सॉंग, दर असल ईरानी शायर सनाई की वह नज़्म है, जिसमें ख़ुदा की महिमा की गई है और पॉप म्यूज़िक के रूप में उसके प्रति श्रद्धा बयान की गई है।

मलिका सॉंग, ईरानी पॉप सिंगर मोहसिन चाउशी की रचना है। चाउशी ने ख़ुद ही इसकी कम्पोज़िंग और एडिटिंग की है।

मलिका सनाई ग़ज़नवी की कविता है। अबुल मज्द मजदूद बिन आदम कि जिन्हें सनाई के नाम से जाना जाता है, 11वीं और 12वीं सदी के एक मशहूर शायर और रहस्यवादी थे। सनाई की शायरी से ज्ञान के बारे में उनकी गहरी और व्यापक जानकारी का पता चलता है।

मौलाना जलालुद्दीन मोहम्मद बल्ख़ी (रूमी) भी ख़ुद को सनाई का अनुयायी मानते थे।

मलिका नज़्म में ख़ुदा की तसबीह और उसकी महिमा का गुणगान किया गया है।

इस नज़्म में सनाई ने अल्लाह के विभिन्न गुणों का गुणगान किया है, जैसे कि पवित्रता, महानता, एकता, क्षमा और न्याय।

शायर ने अल्लाह के सबसे महत्वपूर्ण नामों और गुणों का उल्लेख करने के बाद, ख़ुद को ऐसे पूर्ण और अद्वितीय अस्तित्व के प्रति समर्पित कर दिया है और पूर्ण रूप से उसकी बंदगी को स्वीकार कर लिया है।

इस नज़्म का मज़मून, क़ुरान की आयतों और इस्लामी शिक्षाओं से लिया गया है। मिसाल के तौर पर क़ुरान के सूरए तौहीद की आयत लम यलिद व लम यूलद से यह जुमला कि तेरी कोई पत्नी या साथी नहीं है, लिया गया है। msm

 

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