May ०७, २०२४ १९:२० Asia/Kolkata
  • पश्चिमी आधिपत्य को ख़त्म करने के लिए ईरान और रूस की साझेदारी
    पश्चिमी आधिपत्य को ख़त्म करने के लिए ईरान और रूस की साझेदारी

पार्सटूडे - मध्य एशिया से पश्चिम एशिया और फ़ार्स की खाड़ी से लेकर काला सागर तक, ऐसा लगता है कि तेहरान और मॉस्को का भाग्य आपस में जुड़ा हुआ है।

ईरान और रूस एक व्यापक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करने और उसे लागू करने के बहुत क़रीब पहुंच रहे हैं जिसे "बीस वर्षीय व्यापक सहयोग समझौता" कहा जाता है और जैसा कि दोनों देशों के अधिकारियों का कहना है कि यह समझौता अंतिम रूप से बहुत निकट है।

हालिया दशकों में, ये दो यूरेशियन शक्तियां, महत्वपूर्ण वैश्विक और क्षेत्रीय रणनीतिक मुद्दों पर संयुक्त बिंदुओं तक पहुंचने में सक्षम रही हैं।

मध्य एशिया से पश्चिम एशिया और फ़ार्स की खाड़ी से लेकर काला सागर तक, ऐसा लगता है कि तेहरान और मॉस्को का भाग्य आपस में जुड़ा हुआ है।

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद 2022 में पुतिन ने ईरान की यात्रा की जो यूक्रेन पर उनके हमले की शुरुआत के बाद पूर्व सोवियत संघ के घटकों के अलावा किसी अन्य देश की उनकी पहली यात्रा थी। पुतीन की इस यात्रा ने इशारा कर दिया कि मॉस्को अब रणनीतिक साझेदार की तलाश में नहीं है और अब वह ईरान, संयुक्त अरब इमारात, सऊदी अरब और चीन जैसी क्षेत्र की बाहर शक्तियों और महत्वपूर्ण खिलाड़ियों में अपना भागीदार तलाश कर रहा है।

हालिया दिनों में होने वाली घटनाओं पर नज़र डालने से यह पता चलता है कि रूस और ईरान के रिश्ते पिछले रिश्तों से कहीं आगे हैं।

ईरान और रूस, शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम में प्रगति जैसे रणनीतिक लक्ष्यों में भी साथ रहे हैं जबकि मिसाइल, ड्रोन, लड़ाकू विमान जैसे पारंपरिक हथियारों के विकास कार्यक्रम, अंतरिक्ष में उपग्रह भेजना और परिवहन गलियारे जैसे रणनीतिक वाणिज्यिक सहयोग तथा पश्चिम और उसकी विचारधारा के ख़िलाफ़ हमेशा से ही साथ खड़े नज़र आए हैं।

क्षेत्र में ईरान की भू-राजनीतिक स्थिति और फ़ार्स की खाड़ी, ओमान सागर और कैस्पियन सागर से इसका जुड़ाव, हमेशा उन विषयों में रहा है जिसने ईरान को भौगोलिक रूप से रूस के लिए अधिक आकर्षक और महत्वपूर्ण बना दिया है।

दूसरी ओर, भारत और रूस के बीच व्यापार का मूल्य बढ़कर 50 अरब डॉलर से अधिक हो गया है और दोनों देशों की योजना इसे 400 अरब डॉलर तक पहुंचाने की है लेकिन भारत और मॉस्को के बीच माल और ऊर्जा के परिवहन के लिए एक सुरक्षित गलियारे की ज़रूरत है। ऐसा लगता है कि भारत और मॉस्को दोनों ही ईरान को एक ऐसा सुरक्षित गलियारे के रूप में देख रहे हैं।

सामान्य रूप से ईरान और अपनी विशेष स्थिति की वजह से विश्व के बड़े बाज़ारों का संपर्क बिंदु है।

दरअसल, हिंद महासागर और काला सागर को एक-दूसरे से जोड़ना, प्रतिबंधों से हटकर के हालात में भी रूस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जबकि प्रतिबंधों और युद्ध के दौरान यह महत्व दोगुना हो जाता है।

इस गलियारे के माध्यम से, जिसकी महत्वपूर्ण रगें, ईरान से होकर गुज़रती है, मॉस्को एक बंद गली से बाहर निकल सकता है और ख़ुद को हमेशा से जारी और व्यस्त रास्ते तक पहुंचा सकता है।

ऐसा लगता है कि तेहरान और मॉस्को के बीच सैन्य-सुरक्षा सहयोग, अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए एक बढ़ती चुनौती बन गया है और हालिया वर्षों में उन्होंने मॉस्को और तेहरान के बीच सहयोग में रुकावटें पैदा करने की बहुत कोशिशें कीं।

यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत से ही पश्चिम को मास्को के साथ तेहरान के सहयोग के तेज़ होने का डर सताने लगा।

ईरान ने बारम्बार एलान किया कि वह यूक्रेन पर रूस के हमले के विषय पर तटस्थ है और रूस के साथ सैन्य-सुरक्षा सहयोग होने के बावजूद, वह इस संघर्ष में शामिल नहीं है और पूरी गंभीरता से युद्ध की समाप्ति चाहता है।

यूरोपीय नीति विश्लेषण केंद्र में रूसी मामलों के विश्लेषक एमिल ओदलियानी के अनुसार, ईरान और रूस के बीच मुक्त व्यापार पर केंद्रित समझौता, मौजूदा समय में दोनों पक्षों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इन दोनों शक्तियों के बीच संबंध, यूरेशियाई शक्ति को मज़बूत करते हैं और पश्चिम के नेतृत्व वाली वैश्विक व्यवस्था का स्वरूप बदलना चाहते हैं।

स्रोत:

ईरान और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी का दायरा बढ़ाने से पश्चिम क्यों डरा सहमा है? (एतेमाद समाचार पत्र 1403)

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