पश्चिम की तीन ख़तरनाक योजना, इस्लामोफोबिया, ईरानोफोबिया और शिया-फोबिया
(last modified Thu, 09 May 2024 04:37:31 GMT )
May ०९, २०२४ १०:०७ Asia/Kolkata
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    \"मजमये तक़रीबे मज़ाहिबे इस्लामी ईरान\" के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम हमीद शहरयारी

पार्सटुडेः "मजमये तक़रीबे मज़ाहिबे इस्लामी ईरान" "द वर्ल्ड फोरम फॉर प्राक्सिमिटी ऑफ इस्लामिक स्कूल ऑफ द थॉट" के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम हमीद शहरयारी ने मुस्लिम दुनिया में फूट पैदा करने के लिए वैश्विक अहंकार के लक्ष्यों और योजनाओं को समझाया, और कहा कि इस्लामोफोबिया, शिया-फोबिया और ईरानोफोबिया पश्चिम की ऐसी ख़तरनाक योजना है जो उसने अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बनाई है।

"मजमये तक़रीबे मज़ाहिबे इस्लामी ईरान", यह ईरान की एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो विश्वभर के धर्मों के लोगों को एक मंच पर लाने का प्रयास करती है। इस संस्था के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम हमीद शहरयारी ने इराक़ में इस्लामिक गणराज्य के राजदूत मोहम्मद काज़िम आले सादिक़ के साथ मुलाक़ात में बग़दाद में आयोजित होने वाले इस्लामिक एकता शिखर सम्मेलन के आयोजन के बारे में चर्चा की। इस मौक़े पर उन्होंने बताया हमारा दृष्टिकोण इस्लामिक राज्यों के संघ के गठन के लिए एक एकल इस्लामिक उम्माह तक पहुंचना है। हुज्जतुल इस्लाम शहरयारी ने कहा कि इस्लामी दुनिया में एकता और आपसी दूरी को कम करने की योजना बनाना और प्रयास करना ईरान की प्राथमिकताओं में से एक है।

"मजमये तक़रीबे मज़ाहिबे इस्लामी ईरान" के महासचिव ने अपने बयान के ज़रिए मुस्लिम दुनिया में विभाजन पैदा करने के लिए वैश्विक अहंकार के लक्ष्यों और उनकी परियोजनाओं को विस्तार से समझाया, और कहा कि इस्लामोफोबिया, शिया-फोबिया और ईरानोफोबिया अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पश्चिम की महत्वपूर्ण योजनाएं हैं। उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम इस्लामोफोबिया की परियोजना के साथ दुनिया में मुसलमानों को अलग-थलग करने का इरादा रखता है, और शियाफोबिया के साथ, वह इस्लामी दुनिया में धार्मिक विभाजन पैदा करना चाहता है, और ईरानफोबिया के साथ, वह मुस्लिम देशों और इस्लामी गणराज्य ईरान के बीच टकराव पैदा करना चाहता है।

कुर्दिस्तान, गोलिस्तान और उर्मिया प्रांतों में तीन घरेलू शिखर सम्मेलन आयोजित करने और पड़ोसी देशों के विद्वानों और विचारकों को आमंत्रित करने का ज़िक्र करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि शिया और सुन्नी विद्वानों के बीच विचार-विमर्श और सहयोग के निर्माण का महत्व है और इराक़ में दूसरे शिख़र सम्मेलन का आयोजन करने से पश्चिम की शिया-फोबिया परियोजना को असफलता मिली है। हुज्जतुल इस्लाम शहरयारी ने अल-अक़्सा तूफ़ान के बाद ईरानी विद्वानों और बुद्धिजीवियों और इस्लामी दुनिया के अन्य देशों के साथ संबंधों में बदलाव की ओर इशारा किया और ज़ोर दिया कि इस समय जो माहौल बना है वह इस्लामी दुनिया में प्रतिरोध, एकता और सहयोग के मोर्चे को यथासंभव मज़बूत करने का एक अच्छा अवसर है।

ग़ौरतलब है कि दूसरा इराक़ी इस्लामिक एकता सम्मेलन 8 मई बुधवार को अल-अक़्सा तूफ़ान के नारे के साथ बग़दाद में आयोजित किया जा रहा है। साथ ही, इस्लामिक धर्मों के अप्रूवल के लिए विश्व मंच की सर्वोच्च परिषद की बैठक शिया और सुन्नी विद्वानों के एक समूह की उपस्थिति के साथ गुरुवार (20 मई) को इस सम्मेलन के मौक़े पर होगी। (RZ)

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