Oct ०४, २०२४ १९:१६ Asia/Kolkata
  • तेहरान की नमाज़े जुमा मुसल्ला-ए-इमाम ख़ुमैनी में रहबरे इंक़ेलाब की इमामत में अदा की गई
    तेहरान की नमाज़े जुमा मुसल्ला-ए-इमाम ख़ुमैनी में रहबरे इंक़ेलाब की इमामत में अदा की गई

हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत के बाद और तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन की पहली सालगिरह के मौक़े पर 4 अक्टूबर 2024 को तेहरान की नमाज़े जुमा मुसल्ला-ए-इमाम ख़ुमैनी में रहबरे इंक़ेलाब की इमामत में अदा की गई।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत के बाद और तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन की पहली सालगिरह के मौक़े पर 4 अक्टूबर 2024 को तेहरान की नमाज़े जुमा मुसल्ला-ए-इमाम ख़ुमैनी में रहबरे इंक़ेलाब की इमामत में अदा की गई।

ऐतिहासिक नमाज़े जुमा के ख़ुबते में बयान किए गये कुछ अहम बिन्दु इस तरह से हैं:

 

  • मैंने ज़रूरी समझा कि मेरे भाई, मेरे अज़ीज़, गौरवान्वित करने वाले, इस्लामी जगत की लोकप्रिय हस्ती, इलाक़े की क़ौमों की ज़बान, लेबनान के अनमोल रत्न जनाब सैयद हसन नसरुल्लाह रिज़वानुल्लाह अलैह को श्रद्धांजलि पेश करने का प्रोग्राम तेहरान की जुमे की नमाज़ में आयोजित हो।
  • हम सबके सब सैयद  नसरुल्लाह की शहादत पर दुखी और सोगवार हैं। यह बहुत बड़ा नुक़सान है, इसने वाक़ई हमें ग़मज़दा कर दिया है।
  • अलबत्ता हमारी सोगवारी अवसाद, मानसिक परेशानी और निराशा के मानी में नहीं है। इमाम हुसैन बिन अली अलैहेमस्सलाम की अज़ादारी जैसी है, नई जान डालने वाली, जोश व जज़्बा पैदा करने वाली और उम्मीद पैदा करने वाली।
  • बेशक सैयद हसन नसरुल्लाह का जिस्म हमारे बीच नहीं रहा लेकिन उनकी दूर तक पहुंचने वाली आवाज़ हमारे बीच यथावत बाक़ी रहेगी। वो ज़ालिम और लुटेरे शैतानों के मुक़ाबले में प्रतिरोध का ऊंचा परचम थे। मज़लूमों की बोलती ज़बान और बहादुर रक्षक थे।
  • सैयद हसन नसरुल्लाह मुजाहिदों और सत्य की राह पर चलने वालों का साहस और ढारस थे। उनकी लोकप्रियता और गहरे प्रभाव का दायरा लेबनान, ईरान और अरब मुल्कों की सरहदों से आगे तक फैला हुआ था और अब उनकी इस शहादत से उनका प्रभाव और बढ़ जाएगा।
  • अपनी दुनयावी ज़िंदगी में सैयद हसन नसरुल्लाह का लेबनानी क़ौम के लिए पैग़ाम था कि इमाम मूसा सद्र, और अब्बास मूसवी जैसी हस्तियों के चले जाने की स्थिति में आप मायूस न हों, अपनी ताक़त बढ़ाइये, आक्रामक दुश्मन के मुक़ाबले में प्रतिरोध कीजिए और उसे शिकस्त दीजिए।
  • मेरे अज़ीज़ो! लेबनान की वफ़ादार क़ौम! हिज़्बुल्लाह और अमल के जवानो! मेरे फ़रज़ंदो! आज भी अपनी क़ौम, रेज़िस्टेंस फ़्रंट और इस्लामी जगत से हमारे शहीद सैयद की यही इच्छा है।
  • घटिया दुश्मन जब हिज़्बुल्लाह या हमास या इस्लामी_जेहाद के मज़बूत ढांचे को कोई बड़ा नुक़सान नहीं पहुंचा पा रहा है तो टार्गेट किलिंग और निहत्थे लोगों का क़त्ले आम करके उसे अपनी कामयाबी ज़ाहिर कर रहा है।
  • बेगुनाहों के क़त्ले आम और उन पर बमबारी का नतीजा अवाम के ग़म व ग़ुस्से की तीव्रता, त्यागी बहादुरों का सामने आना और ख़ूंख़ार भेड़िए के गिर्द घेराबंदी का तंग हो जाना और दुनिया से उसके शर्मनाम वजूद का अंत है।
  • अज़ीज़ो! दुखी दिलों को अल्लाह के ज़िक्र और उससे मदद तलब करने के ज़रिए सुकून मिलेगा, विरानियां दूर होंगी और आपके धैर्य व दृढ़ता से सम्मान व प्रतिष्ठा में इज़ाफ़ा होगा।
  • सैयद हसन नसरुल्लाह की सूझबूझ भरी कोशिशों से हिज़्बुल्लाह ने चरणबद्ध रूप में, सब्र व धैर्य से, तार्किक और स्वाभाविक अंदाज़ में विकास का अमल तय किया और मुख़्तलिफ़ मौक़ों पर ज़ायोनी सरकार को पीछे ढकेल कर दुश्मन को अपनी मौजूदगी का एहसास कराया।
  • हिज़्बुल्लाह वाक़ई पाकीज़ा दरख़्त है। हिज़्बुल्लाह और उसके बहादुर व शहीद रहनुमा, लेबनान की पहचान और इतिहास की ख़ासियतों का निचोड़ हैं।
  • घायल व लहूलुहान लेबनान का क़र्ज़ अदा करना हमारा और सभी मुसलमानों का फ़रीज़ा है।
  • हिज़्बुल्लाह और शहीद सैयद ने ग़ज़ा का साथ देकर, मस्जिदुल अक़्सा के लिए जेहाद करके और क़ाबिज़ व ज़ालिम सरकार पर वार लगाकर पूरे इलाक़े और इस्लामी जगत की बुनियादी सेवा की राह में क़दम बढ़ाया।
  • क़ाबिज़ सरकार की सुरक्षा पर अमरीका और उसके घटकों का ज़ोर इस इलाक़े के संसाधनों को हड़पने के मक़सद से इस सरकार को एक हथकंडे में तब्दील करने की घातक नीति पर पर्दा डालने की कोशिश है।
  • अमरीका और उसके घटकों की नीति ज़ायोनी सरकार को इलाक़े से पश्चिमी जगत के लिए ऊर्जा की आपूर्ति और पश्चिम से प्रोडक्ट और टेक्नालोजी इस इलाक़े में लाने के दरवाज़े में तब्दील करना है। यानी क़ाबिज़ सरकार के वजूद की गारंटी और पूरे इलाक़े को उसका मोहताज बनाना है। यक़ीनन यह असंभव है।
  • ज़ायोनी सरकार पर पड़ने वाला हर वार चाहे वह किसी भी शख़्स या संगठन की ओर से हो, न सिर्फ़ इलाक़े बल्कि पूरी इंसानियत की सेवा है।
  • ज़ायोनी सरकार जाली और अस्थिर है।
  • ज़ायोनी सरकार ने अमरीका की मदद से बमुश्किल अपना वजूद बचा रखा है।
  • एक साल से दुश्मन ग़ज़ा और लेबनान में अरबों डालर ख़र्च करने के बाद अमरीका और कई पश्चिमी सरकारों की मदद के बावजूद मैदाने जंग के कुछ हज़ार सिपाहियों से जो घिरे हुए भी हैं और बाहर से उनकी हर मदद रोक दी गयी है, शिकस्त खा गयी, उसकी एक ही कामयाबी निहत्थे लोगों का क़त्ले आम है।
  • आज अपराधी ज़ायोनी गैंग भी इस नतीजे पर पहुंच गया है कि हमास और हिज़्बुल्लाह को हरगिज़ शिकस्त नहीं दे सकेगा।
  • लेबनान और फ़िलिस्तीन के डटे हुए अवाम! बहादुर मुजाहिदो! धैर्यवान व क़द्रदान अवाम! ये शहादतें, ये ज़मीन पर बहने वाला ख़ून आपके आंदोलन को कमज़ोर नहीं बल्कि ज़्यादा मज़बूत बनाएगा।
  • रेज़िस्टेंस इन शहादतों की वजह से पीछे नहीं हटेगा।
  • रेज़िस्टेंस विजयी होगा।
  • ग़ज़ा में प्रतिरोध ने दुनिया को हैरत में डाल दिया, इस्लाम का गौरव बढ़ाया। ग़ज़ा में सभी शैतानी व घटिया हरकतों के मुक़ाबले में इस्लाम सीना तान कर खड़ा हो गया।
  • कोई भी आज़ाद सोच रखने वाला इंसान ऐसा नहीं है जो इस दृढ़ता को सलाम न करे और बर्बर व ख़ूंख़ार ज़ायोनिस्ट दुश्मन पर लानत न भेजे।
  • ग़ज़ा व लेबनान के एक साल के प्रतिरोध ने क़ाबिज़ सरकार को इस हालत में पहुंचा दिया कि उसकी सारी चिंता अपने वजूद को बचाना है, यानी वही चिंता जो वजूद में आने के आग़ाज़ के दिनों में उसे सताती थी। इसका मतलब यह है कि रेज़िस्टेंस ने ज़ायोनी सरकार को 70 साल पीछे ढकेल दिया है।
  • इस इलाक़े में जंग, अशांति और पिछड़ेपन की अस्ली वजह ज़ायोनी सरकार का वजूद और उन सरकारों की मौजूदगी है जो यह दावा करती हैं कि वो इलाक़े में शांति व अमन की कोशिश कर रही हैं।
  • इलाक़े की सबसे बड़ी मुश्किल ग़ैरों की दख़लअंदाज़ी है। इलाक़े की सरकारें इस इलाक़े में अमन व शांति क़ायम करने में सक्षम हैं। इस अज़ीम व मुक्ति दायक लक्ष्य के लिए क़ौमों और सरकारों को कोशिश व संघर्ष करने की ज़रूरत है। अल्लाह इस राह पर चलने वालों के साथ है। (AK)

 

 

हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए

हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिए!

ट्वीटर पर हमें फ़ालो कीजिए 

फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक करें।

टैग्स