फ़ार्स की खाड़ी के बारे में यूरोप को ईरान के संसद सभापति और ईरान के विदेशी संबंधों की स्ट्रैटेजी परिषद के प्रमुख की चेतावनी
(last modified 2024-10-20T14:16:33+00:00 )
Oct २०, २०२४ १९:४६ Asia/Kolkata
  • फ़ार्स की खाड़ी के बारे में यूरोप को ईरान के संसद सभापति और ईरान के विदेशी संबंधों की स्ट्रैटेजी परिषद के प्रमुख की चेतावनी

​​​​​​​पार्सटुडे- ईरान के संसद सभापति क़ालीबाफ़ ने कहा है कि यूरोपीय संघ और दूसरे अतार्किक व अर्थहीन बात करने वालों को जान लेना चाहिये कि तीनों द्वीप बू मूसा, तुंबे बुज़ुर्ग और तुंबे कुचक ईरान का अभिन्न अंग हैं।

ईरानी संसद मजलिसे शुराये इस्लामी के सभापति मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने रविवार को कहा कि फ़ार्स खाड़ी की सहयोग परिषद को चाहिये कि वह अपनी क्षमता का प्रयोग ज़ायोनी सरकार को अपराधों से रोकने में करे परंतु वह यह काम करने के बजाये इस्लामी गणतंत्र ईरान की संप्रभुता के बारे में निराधार दावों को जारी रखे हुए है।

 

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार क़ालीबाफ़ ने संसद की खुली बैठक में ईरान विरोधी यूरोपीय संघ और फ़ार्स की खाड़ी की सहयोग परिषद की हालिया संयुक्त विज्ञप्ति की ओर संकेत करते हुए कहा कि तीनों द्वीप ईरान के अंग व अंश हैं।

 

संसद सभापति ने इस संबंध में कहा कि यूरोपीय संघ और दूसरे अर्थहीन बात करने वालों को जान लेना चाहिये कि तीनों द्वीप बू मूसा, तुंबे बुज़ुर्ग और तुंबे कुचक ईरान के अंश हैं और किसी के अंदर इस निश्चित सिद्वांत के ख़िलाफ़ काम करने की हिम्मत व साहत नहीं है और अपने अस्तित्व के लिए उनके लिए बेहतर है कि वे इस चीज़ को सिद्ध करने के लिए ईरानी राष्ट्र की परीक्षा न लें।

 

इसी प्रकार क़ालीबाफ़ ने इस्लामी गणतंत्र ईरान की सरकार से मांग की कि वह इन तीनों ईरानी द्वीपों के विकास व प्रगति के लिए क़ानून की धारा 61 को जल्द से जल्द व्यवहारिक बनाने की भूमि प्रशस्त करे।

इससे पहले ईरान की विदेशी संबंधों की स्ट्रैटेजिक परिषद के प्रमुख कमाल ख़र्राज़ी ने एक बयान में तीनों ईरानी द्वीपों के बारे में संयुक्त अरब इमारात के दावे के समर्थन में यूरोपीय संघ के कारणों के बारे में चेतावनी दी थी और अरब इमारात के अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि वे ईरानी संप्रभुता को लेकर तेहरान से दुश्मनी छोड़ देंऔर इनका उनका सहारा लेने के बजाये वार्ता करें ताकि एतिहासिक वास्तविकताओं और प्रमाणों के आधार पर इस मामले का समाधान हो और यह वह चीज़ है जो मतभेदों की समाप्ति और क्षेत्र में शांति व सुरक्षा का कारण बनेगी वरना जिस रास्ते का सुझाव दूसरे उन्हें दे रहे हैं उसका परिणाम तबाही, बर्बादी और जंग के अलावा कुछ और नहीं होगा। MM

कीवर्ड्सः ईरान और संयुक्त अरब इमारात, फ़ार्स ख़ाड़ी की सहकारिता परिषद,ईरान के तीन द्वीप, यूरोपीय संघ और ईरान, मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़, कमाल ख़र्राज़ी

 

 

 

 

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