ईरानी राष्ट्र की दृढ़ता के सामने अमरीका की बेबसी!!!
ईरान के इस्लामी क्रान्ति संरक्षक बल आईआरजीसी के मुख्य कमान्डर ने कहा है कि कोई भी ताक़त ईरान के संबंध में फ़ैसला नहीं कर सकती और दुनिया को चाहिए कि वह ईरानी राष्ट्र के इरादे का सम्मान करते हुए उसे आधिकारिक रूप से मान्यता दे।
मेजर जनरल हुसैन सलामी ने गुरुवार को दक्षिण-पश्चिमी ईरान के ख़ूज़िस्तान प्रांत में इस बात का उल्लेख करते हुए कि कोई भी अपना इरादा ईरानी राष्ट्र पर नहीं थोप सकता, कहा कि दुश्मन ईरान के संबंध में ग़लत अनुमान न लगाए, जाने ले कि ईरानी राष्ट्र प्रतिरोध की शिक्षक है और उसके मुक़ाबले में दबाव, नाकाबंदी और रोब की कोई हैसियत नहीं है।
ईरानी राष्ट्र ने अमरीका सहित दुनिया की बड़ी शक्तियों के मुक़ाबले में इरादे व दृढ़ता से क्रान्ति के 40 साल सफलता से पार किए हैं। इस्लामी क्रान्ति से दुनिया के सामने ईरानी राष्ट्र का प्रतिरोध, दृढ़ता और बलिदान स्पष्ट हो चुका है।
धौंस धमकी देने वालों के सामने न झुकना ईरानी राष्ट्र की पहचान है जो इस्लामी क्रान्ति की सफलता से और अधिक प्रकट हुयी और आज उसकी यह पहचान दुनिया के स्वतंत्र राष्ट्रों के लिए आदर्श बन चुकी है।
अमरीका में विभिन्न सरकारों की ईरानी राष्ट्र से दुश्मनी की वजह भी यही दृढ़ता है जिससे दुश्मनों की नाना प्रकार की साज़िशे नाकाम हो गयीं।
ईरानी राष्ट्र के दृढ़ संकल्प के सामने अमरीका के युद्धोन्मादी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प बौखला गए हैं।
हाल में ईरान की सीमा के अमरीकी ड्रोन द्वारा उल्लंघन पर आईआरजीसी द्वारा मार गिराए जाने पर कोलंबिया के राजनैतिक टीकाकार कार्लोस सैंटा मारिया का कहना है कि टेक्नॉलोजी के क्षेत्र में अमरीकी वर्चस्व जैसी मान्यता अब निरर्थक हो चुकी है, विकासशील देश सूचना की दृष्टि से बहुत उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं और वे न सिर्फ़ यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि किस तरह अपनी रक्षा करें बल्कि उच्च स्तरीय टेक्नॉलोजी हासिल करने में भी सक्षम हैं।
इस्लामी गणतंत्र ईरान दुश्मन के दबावों के बावजूद क्षेत्र की एक ताक़त बन चुका है और उसकी ताक़त दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
ट्रम्प सरकार के ईरान के संबंध में जंग की धमकी से वार्ता के प्रस्ताव देने जैसे दृष्टिकोण में बदलाव, एकजुट ईरान के न झुकने से अमरीका की निराशा की वजह से है। (MAQ/T)