आयत क्या कहती है? हम सभी इंसान मिट्टी से बने हैं और मिट्टी में ही वापस जाएंगे।
Sep ०८, २०१९ ११:०९ Asia/Kolkata
मूल्यहीन अहंकार को दूर रखना चाहिए और घमंड में ग्रस्त नहीं होना चाहिए।
सूरए रूम की आयत क्रमांक 20 अनुवादः
और उसकी (शक्ति की) निशानियों में से यह है कि उसने तुम्हें (निर्जीव) मिट्टी से पैदा किया। फिर तुम मनुष्य (के रूप में धरती में) फैल गए।
संक्षिप्त टिप्पणी:
अगर मनुष्य अपनी सृष्टि और जीवन के स्रोत पर ध्यान दे तो देखेगा कि ब्रह्मांड के रचयिता ने किस प्रकार निर्जीव मिट्टी से मस्तिष्क की अत्यंत छोटी कोशिकाओं की रचना की है और विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में मनुष्य की हर प्रगति इसी मिट्टी की ऋणी है।
इन आयत से मिलने वाले पाठ:
- हमने सीखा कि अपनी पहचान, ईश्वर की पहचान की भूमिका है और मनुष्य इस धरती पर ईश्वर की सबसे अहम रचनाओं में से एक है।
- हम सभी इंसान मिट्टी से बने हैं और मिट्टी में ही वापस जाएंगे।
- मूल्यहीन अहंकार को दूर रखना चाहिए और घमंड में ग्रस्त नहीं होना चाहिए।
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