आयत क्या कहती हैं? सभी की वापसी उसी की ओर है।
क़ुरआने मजीद अनेकेश्वरवादियों को संबोधित करके उनसे पूछता है कि जिन्हें तुम पूजते हो वे बेहतर हैं या वह ईश्वर जिसने सृष्टि की रचना की है और धरती व आकाश व सभी छोटी बड़ी वस्तुओं का संचालन करता है?
सूरए नम्ल की आयत क्रमांक 64 का अनुवाद:
(जिन्हें वे ईश्वर का समकक्ष ठहराते हैं वे बेहतर हैं) या वह जिसने सृष्टि का आरम्भ किया है, फिर उसकी प्रलय में पुनरावृत्ति भी करता है और जो तुम्हें आकाश और धरती से आजीविका देता है? क्या अल्लाह के साथ कोई और ? पूज्य है? (हे पैग़म्बर!) कह दीजिए कि अगर तुम सच्चे हो तो अपना तर्क ले आओ।
संक्षिप्त टिप्पणी:
अगर तुम यह सोचते हो कि अनन्य ईश्वर के अलावा भी कुछ ईश्वर हैं जो सृष्टि की रचना या उसके संचालन में उसकी सहायता करते हैं तो फिर तुम अपनी यह बात स्पष्ट तर्कों के साथ सिद्ध करके दिखाओ।
इस आयत से मिलने वाले पाठ:
- विरोधियों के प्रति व्यवहार में भी न्याय से काम लेना चाहिए और अगर वे कोई तर्कसंगत बात करें तो उसे स्वीकार करना चाहिए।
- यह शत्रु की बात है उसे रद्द नहीं कर देना चाहिए क्योंकि इस्लाम तर्क का धर्म है और क़ुरआने मजीद अपने विरोधियों से भी तर्क मांगता है।
- ईश्वर ने सभी की रोज़ी व आजीविका उपलब्ध कराई है।
-
उसने वायु, वर्षि व प्रकाश की व्यवस्था की है। विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ, फल और कपड़े धरती से उपलब्ध कराए हैं।