Feb ०३, २०२४ १३:३५ Asia/Kolkata
  • सीरिया और इराक़ में अमरीका के हमले, इलाक़े में आग भड़काने की कोशिश

अमरीका वर्षों से पश्चिमी एशिया के इलाक़े में अपनी सैनिक उपस्थिति के ज़रिए अस्थिरता और अशांति पैदा कर रहा है ताकि अपने और अपने घटकों के स्वार्थों की हिफ़ाज़त करे। अमरीका ने इस लक्ष्य के तहत कई बार इस इलाक़े को युद्ध की आग में झोंका है।

इस क्रम में अमरीका ने नई हरकत यह की कि शुक्रवार की रात में सीरिया और इराक़ में कई प्रतिष्ठानों पर अमरीकी बमबार विमानों ने 85 से अधिक टारगेट्स पर बमबारी की। सेंटकाम के बयान के अनुसार इस हमले में 125 से अधिक मिसाइल और बम इस्तेमाल किए गए। सेंटकाम ने दावा किया कि हमले में कंट्रोल और कमांड सेंटर, इंटेलीजेंस सेंटर, राकेटों व मिसाइलों, ड्रोन विमानों के भंडारों और दूसरे प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। अमरीका का दावा है कि इन प्रतिष्ठानों का प्रयोग करते हुए इराक़ और सीरिया में अमरीकी ठिकानों पर हमले किए जाते थे।

वाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि यह हमले एक अमरीकी सैनिक छावनी पर होने वाले हमले के जवाब में किए गए हैं। टावर 22 नाम की छावनी पर गत रविवार को हुए अमरीका में 3 अमरीकी सैनिक मारे गए थे और 34 घायल हो गए थे। अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा है कि हमले अभी जारी रहेंगे मगर साथ ही उन्होंने यह दावा भी कर दिया कि अमरीका पश्चिमी एशिया या किसी भी इलाक़े में जंग नहीं चाहता।

जबकि सच्चाई यह है कि अमरीका दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया के अलग अलग इलाक़ों में बहुत सारी जंगों का ज़िम्मेदार रहा ह। अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ पर अपने हमलों में अमरीका ने लाखों की संख्या में लोगों को क़त्ल किया और दोनों देशों को बहुत बड़े पैमाने पर नुक़सान पहुंचाया। अमरीका की गतिविधियों के नतीजे में आतंकवाद को बढ़ावा मिला। इसके बाद अमरीका ने अरब और पश्चिमी देशों का गठजोड़ बनाकर सीरिया पर युद्ध थोप दिया। पूरा सीरिया युद्ध की आग में झोंक दिया गया जिससे यह देश तबाह होकर रह गया।

दूसरी तरफ़ अमरीका ज़ायोनी शासन का खुलकर समर्थन करता है जो पिछले 75 साल से इस इलाक़ों में जनसंकार और नस्लीय सफ़ाए में लिप्त है। हालिया ग़ज़ा जंग में अमरीका ने ज़ायोनी शासन के अपराधों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और इस्राईल की हर ज़रूरी मदद की ताकि वो ग़ज़ा पट्टी में नस्लीय सफ़ाए जैसा अपराध कर सके।

अहम बात यह है कि सीरिया और इराक़ में रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ के ठिकानों पर अमरीका ने तब हमले किए हैं जब ग़ज़ में ज़ायोनी शासन के भयानक अपराधों और अमरीका की ओर से ज़ायोनी शासन का भरपूर साथ दिए जाने के नतीजे में पश्चिमी एशिया के हालात तनावपूर्ण हैं और लाल सागर की स्थिति काफ़ी चिंताजनक है।

ग़ज़ युद्ध का चौथा महीना चल रहा है और अमरीका ज़ायोनी शासन के अपराधों के समर्थन में कोई कमी नहीं कर रहा है। इन हालात की वजह से पश्चिमी एशिया और विशेष रूप से इराक़ और सीरिया में इस्लामी रेज़िस्टेंस नेटवर्क से जुड़ी फ़ोर्सेज़ इसी तरह यमनी फ़ोर्सेज़ ने कहा है कि अगर ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन के अपराधों पर अंकुश न लगाया गया तो इलाक़े में अमरीका के सैनिक ठिकानों को निशाना बनाया जाएगा।

इलाक़े में इस्लामी प्रतिरोध फ़ोर्सेज़ ने बार बार कहा है कि अमरीकी सैन्य ठिकानों पर उनके हमलों की अस्ली वजह ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन के हाथों फ़िलिस्तीनीयों को नस्लीय सफ़ाया है जिसका अमरीका समर्थन कर रहा ह। इन फ़ोर्सेज़ का कहना है कि जब तक अमरीका अपनी नीति नहीं बदलता और ज़ायोनी शासन का समर्थन नहीं रोकता अमरीका के ठिकानों पर हमले किए जाते रहेंगे।

इस बीच अमरीका की एक घटिया हरकत यह भी है कि अमरीकी ठिकानों पर होने वाले हमलों को ईरान से जोड़ने की कोशिश करता है। ईरान का कहना है कि वो फ़िलिस्तीनी संगठनों और इस्लामी रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ का खुलकर समर्थन करता है लेकिन यह फ़ोर्सेज़ अपने फ़ैसले खुद करती हैं। ईरान ने साफ़ कहा है कि अगर उसके हितों को अमरीका ने निशाना बनाने की कोशिश की तो सेल्फ़ डिफेंस के तहत वह जवाबी कार्यवाही ज़रूर करेगा।

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