Mar ०४, २०२४ ११:०१ Asia/Kolkata
  • ग़ज़ा में युद्ध विराम की अमरीका की मांग के पीछे क्या मक़सद है?

तत्काल युद्धविराम का आह्वान करते हुए अमरीका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने ग़ज़ा में मानवीय आपदा को कम करने के लिए पर्याप्त क़दम नहीं उठाने के लिए इस्राईल की आलोचना की है।

अमरीकी उपराष्ट्रपति हैरिस ने कहा है कि ग़ज़ा में लोग भूख से मर रहे हैं, इसलिए ज़ायोनी शासन को ग़ज़ा में राहत सामग्री की सप्लाई में रुकावट नहीं डालनी चाहिए।

कमला हैरिस ने कहा कि ग़ज़ा में कम से कम से छह सप्ताह का युद्ध विराम होना चाहिए ताकि वहां से इस्राईली बंधकों को निकाला जा सके। कई राजनीतिक टीकाकारों ने ग़ज़ा में अमरीका द्वारा सहायता सामग्री गिराने और कमला हैरिल के युद्ध विराम के बयान को घड़ियाली आंसू बताए हैं।

7 अक्तूबर के बाद ग़ज़ा में शुरू हुए युद्ध में अमरीका ने न सिर्फ़ इस्राईल को सैन्य सहायता के अलावा हथियारों की आपूर्ति की है, बल्कि सुरक्षा परिषद में युद्ध विराम के हर प्रयास को असफल किया है।

पांच महीने बाद अब जबकि 30,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं, जिनमें अधिकांश संख्या बच्चों और महिलाओं की है और लोग भूख से मरने लगे हैं, तो दुनिया भर में बढ़ते विरोध को देखते हुए अमरीका एक बार फिर इस्राईल को बचाने के लिए आगे आया है।

लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अभी भी अमरीकी उपराष्ट्रपति अस्थायी और सिर्फ़ 6 हफ़्तों के लिए युद्ध विराम की बात कर रही हैं, ताकि इस दौरान इस्राईली बंधकों को आज़ाद करवाया जा सके। ऐसा लगता है कि उन्हें अभी भी ग़ज़ा में इस्राईली जनसंहार और भुखमरी का शिकार फ़िलिस्तीनी बच्चों से ज़्यादा इस्राईली बंधकों की आज़ादी की चिंता है।

हालांकि इससे पहले मिस्र में युद्धविराम को लेकर बातचीत के लिए बैठक में ज़ायोनी शासन ने हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था। ज़ायोनी अधिकारियों का कहना था कि हमास अब भी ज़िंदा बचे बंधकों की सूची नहीं दे रहा है।

हमास का कहना है कि ज़ायोनी सेना की लगातार बमबारी की वजह से वो ऐसा नहीं कर पा रहा है। हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी बासिम नईम का कहना था कि व्यावहारिक तौर पर यह पता लगाना मुश्किल है कि कौन ज़िंदा है और कौन नहीं।

गुरुवार को ग़ज़ा पट्टी में राहत सामग्री लेने के लिए लाइन में लगे लोगों पर इस्राईली सैनिकों ने अंधाधुंध गोलियां बरसा दी थीं, जिसमें 115 लोग शहीद हो गए। विश्व स्तर पर इस घटना की व्यापक आलोचना और ग़ज़ा में युद्धविराम के लिए दबाव बढ़ने के बाद ही कमला हैरिस ने अस्थायी युद्ध विराम की मांग की है।

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