Mar २५, २०२४ ०९:५९ Asia/Kolkata
  • एक इस्राईली आतंकवादी, जिसे शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया

दीर यासिन के क़साई के नाम से मशहूर पूर्व ज़ायोनी नेता मेनाख़िम बेगिन ने अप्रैल 1948 में वसंत की एक सुबह एयरगन आतंकवादी गुट के सदस्यों के साथ अवैध क़ब्ज़े वाले बैतुल मुक़द्दस की एक पहाड़ी पर स्थित दीर यासिन गांव पर हमला कर दिया और सूरज छिपने तक इस गांव को उसके रहने वालों के साथ तहस नहस कर दिया।

यहां हम इस ज़ायोनी आतंकवादी के जीवन के सिर्फ़ 6 अंशों पर एक नज़र डाल रहे हैं।

  1. परिवार

इस्राईल के अभूतपूर्व प्रधान मंत्री मेनाख़िन बेगिन कट्टर ज़ायोनी और दक्षिणपंथी पार्टी लिकुड के नेता का जन्म 1913 में पोलैंड के ब्रेस्ट-लिटोव्स्क में हुआ था।

उनके पिता वुल्फ़ डोव बेगिन एक चरमपंथी ज़ायोनीवादी थे और मां आसिया कुरोसोव्स्की एक प्रसिद्ध रब्बी के परिवार से थीं।

  1. आतंकवादी गतिविधियों की शुरूआत

1929 में बेगिन जब सिर्फ़ 16 साल के थे, जबोटिंस्की के विचारों से प्रभावित होकर एक ज़ायोनीवादी बन गए। उसके तुरंत बाद वह आतंकवादी संगठन बतर में शामिल हो गए। उन्होंने इस संगठन में तेज़ी से तरक्क़ी की और 17 साल की उम्र में पोलैंड के ब्रेस्ट-लिटोव्स्क में बतर के कमांडर बन गए।

1935 तक बतर का काफ़ी विस्तार हो चुका था। उस दौर में बेगिन इस गुट के बड़े नेताओं में गिने जाने लगे। उसी साल क्राको में बतर की विश्व कांग्रेस में उन्हें प्रमुख नेताओं के साथ बैठाया गया।

  1. फ़िलिस्तीन में प्रवेश

मेनाख़िम बेगिन ने 1942 की शुरूआत में फ़िलिस्तीन में प्रवेश किया। फ़िलिस्तीन पहुंचने के बाद, बेगिन ने पहले हैफ़ा में सेना के कमांडरों के लिए अंग्रेज़ी अनुवादक के रूप में काम किया। उसी साल सितम्बर में बेगिन को बतर आतंकवादी गुट का प्रमुख बना दिया गया। 1943 में उन्हें आतंकवादी संगठन एयरगन का प्रमुख घोषित कर दिया गया।

उसके बाद, 1942-1948 के दौरान, बेगिन ने फ़िलिस्तीन में अरबों की सामूहिक हत्याएं और सार्वजनकि स्थलों को नष्ट करने जैसे भयानक अपराध किए, जिसका ज़ायोनी नेताओं ने स्वागत किया।

बेगिन और उनके आतंकवादी संगठन के अपराधों में से उल्लेखनीय मलिक दाऊद होटल को बम से उड़ाना और दीर यासिन के निवासियों का बर्बरतापूर्ण नरसंहार है।

बेगिन की आतंकवादी गतिविधियां इतनी भयानक थीं कि ब्रिटिश जासूसी एजेंसी ने उन्हें सबसे बड़ा ज़ायोनी आतंकवादी क़रार दिया था।

उन्होंने न्यूयॉर्क में अपना एक भाषण इस जमुले से शुरू किया था कि मैं एक पूर्व आतंकवादी हूं।

  1. राजनीतिक गतिविधियां

1948 में इस्राईल की स्थापना के बाद, बेगिन ने फासीवादी पार्टी हीरूत की स्थापना की। पार्टी के लिए फ़ंड इकट्ठा करने के लिए बेगिन ने अमरीका की यात्रा की। उस यात्रा के दौरान हन्ना अरेंड्ट और कुछ अन्य यहूदी बुद्धिजीवियों ने न्यूयॉर्क टाइम्स को एक खुले पत्र में उन्हें एक ऐसी पार्टी का नेता कहा जो संगठन, शैली, राजनीतिक दर्शन और सामाजिक रूप से नाज़ी और फासीवादी पार्टियों से मिलती जुलती थी। इस पत्र में दीर यासिन नरसंहार का बी ज़िक्र किया गया था, जिसमें 240 फ़िलिस्तीनियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस पत्र पर अन्य लोगों के अलावा, भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।

1973 में बेगिन ने दक्षिणपंथी पार्टियों के गठजोड़ से लिकुड पार्टी की स्थापना की और 1977 के चुनाव में जीत हासिल कर ली। बेगिन के चुनाव जीतने के बाद, विश्व ज़ायोनीवाद ने उनकी छवि को बदलने का काफ़ी प्रयास किया।

  1. शांति का नोबेल पुरस्कार

कहा जा सकता है कि शांति का नोबेल पुरस्कार, शांति के प्रतीक के ज़्यादा नरसंहार करने वालों की छवि को साफ़ करने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

एक और महात्मा गांधी जैसे लोगों को कभी शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं दिया गया, वहीं कैसेंजर से लेकर बेगिन जैसे लोगों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिनके हाथ असंख्यक लोगों के ख़ून से रंगे हुए थे।

  1. राजनीति से सन्यास और मौत

1981 में एक बार फिर बेगिन ने ज़ायोनी शासन का प्रधान मंत्री पद संभाला, लेकिन बीमारी और बुढ़ापे की वजह से 1983 में इस्तीफ़ा दे दिया। 9 मार्च 1992 को बेगिन की मौत हो गई। msm

टैग्स