Mar २८, २०२४ १५:११ Asia/Kolkata
  • फिलिस्तीन के मामले में राष्ट्रसंघ की विशेष रिपोर्टर फ़्रांसिस्का अल्पानीज़
    फिलिस्तीन के मामले में राष्ट्रसंघ की विशेष रिपोर्टर फ़्रांसिस्का अल्पानीज़

पार्सटुडे- ग़ज़्ज़ा में अवैध ज़ायोनी शासन के हाथों फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार पर आधारित राष्ट्रसंघ की विशेष रिपोर्टर को अमरीका और ज़ायोनी शासन ने धमकी दी है। 

फ़िलिस्तीन के मामले में संयुक्त राष्ट्रसंघ की विशेष रिपोर्टर फ़्रांसिस्का अल्पानीज़ ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया है कि ग़ज़्ज़ा में इस्राईल के हाथों जारी जनसंहार की समीक्षा से यह पता चलता है कि ज़ायोनी शासन, वहां पर जातीय सफाया करने में व्यस्त है।

ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के बढ़ते जनसंहार के संदर्भ में राष्ट्रसंघ की रिपोर्टर ने चिंता जताते हुए कहा कि एसा कोई अन्तर्राष्ट्रीय संगठन होना चाहिए जो इस्राईल द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय क़ानूनों को जानबूझकर बदलने और फ़िलिस्तीनियों के विनाश की हिंसक प्रक्रिया को रोक सके। 

हाल ही में इस बात का रहस्योदघाटन हुआ है कि इस्राईल के साथ मिलकर अमरीका ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की विशेष रिपोर्ट पर ज़ायोनी शासन के विरुद्ध पक्षपात का आरोप लगाते हुए उसे धमकी दी है। 

राष्ट्रसंघ की विशेष रिपोर्टर का यह बयान सिद्ध करता है कि इस समय कोई भी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था इस काम में सक्षम नहीं है कि ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध जातीय सफाए का अभियान चलाने वाले इस्राईल को इसका ज़िम्मेदार ठहरा सके।  इसका मुख्य कारण यह है कि अवैध ज़ायोनी शासन, अमरीका के कूटनीतिक, सैनिक और मीडिया के संरक्षण में है। 

कुछ समय पहले ही संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव पारित करके ग़ज़्ज़ा में तत्काल संघर्ष विराम की मांग की थी लेकिन अवैध ज़ायोनी शासन ने उस ओर कोई भी ध्यान नहीं दिया।

अवैध ज़ायोनी शासन ने अक्तूबर 2023 को अमरीका सहित पश्चिम के समर्थन से ग़ज़्ज़ा में निर्दोष एवं अत्याचारग्रस्त फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध नरसंहार का काम आरंभ कर रखा है।  ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार ग़ज़्ज़ा पर इस्राईली हमलों में 32 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं।  इन हमलों में 75 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी घायल बताए जा रहे हैं। 

अवैध ज़ायोनी शासन का गठन वैसे तो सन 1948 में हुआ था किंतु इसकी भूमिका 1917 से आरंभ हुई थी।  उस समय ब्रिटेन की षडयंत्रकारी योजना के अन्तर्गत दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से यहूदियों को पलायन करवाकर पहले उनको फ़िलिस्तीन में लाया गया और बाद मे एक अवैध शासन के गठन ही घोषणा की गई जिसकी पाश्विकता आज पूरी दुनिया के सामने उजागर हो चुकी है।

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