Apr ०७, २०२४ १७:२१ Asia/Kolkata
  • वामपंथी नारीवादी दार्शनिक और विचारक नेनसी फ़्रेज़र
    वामपंथी नारीवादी दार्शनिक और विचारक नेनसी फ़्रेज़र

जर्मनी के शिक्षा केन्द्रों को भी पसंद नहीं आ रही है अवैध ज़ायोनी शासन की आलोचना।

पार्सटुडे-नेनसी फ़्रेजर, जिनहें कोलोन विश्विद्यालय में अल्बर्ट्स मैगनस प्रोफेसरशिप के लिए आमंत्रित किया गया था, उनके निमंत्रणपत्र को इस यूनिवर्सिटी की ओर से निरस्त कर दिया गया। 

ग़ज़्ज़ा में जिस तरह से फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध ज़ायोनियों द्वारा अपराध किये जा रहे हैं उनपर पूरी दुनिया में हर वर्ग की ओर से आलोचना की जा रही है।  इन्ही आलोचकों में से एक नेनवी फ़्रेज़र भी हैं जो एक मश्हूर विचारक एवं दार्शनिक हैं।  नेनसी फ्रेज़र, वामपंथी नारीवादी दार्शनिक हैं। 

सात अक्तूबर के बाद से जर्मनी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कमी आई है विशेषकर वैज्ञानिक केन्द्रों में।  हालांकि इससे पहले भी जर्मनी की एकेडमियों में इस्राईल की आलोचना और इस अवैध शासन के बायकाट को सहन नहीं किया जाता था। 

ग़ज़्ज़ा में अब भी फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध ज़ायोनियों की हिंसक कार्यवाहियां जारी हैं।  ज़ायोनियों की इन कार्यवाहियों में 33 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हुए है जबकि 75 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।

याद रहे कि ब्रिटिश उपनिवेशवादा के षडयंत्र के अन्तर्गत सन 1917 में इस्राईल के गठन की योजना तैयार हो चुकी थी किंतु विश्व के अन्य देशों से फ़िलिस्तीन की भूमि की ओर यहूदियों के पलायन के बाद 1948 में अवैध ज़ायोनी शासन के गठन की घोषणा की गई।  उस समय से लेकर अबतक ज़ायोनियों के हाथों फ़िलिस्तीनियों की भूमि पर क़ब्ज़ा करने और उनके जातीय सफाए की कार्यवाहियां विभिन्न शैलियों में जारी हैं।

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