इस्राईल के वर्तमान सैनिकों के पूर्वजों ने दैरे यासीन वालों का इस तरह से जनसंहार किया था/अप्रैल 1948 का जनसंहार
पार्सटुडे- शायद ही कोई ऐसा अपराध होगा जिसको अवैध ज़ायोनी शासन ने अपने गठन के समय से फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध अंजाम न दिया हो।
इस्राईल ने पश्चिमी नेताओं के समर्थन और उनके संचार माध्यमों की ख़ामोशी की आड़ में फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध जघन्य अपराध अंजाम दिये हैं। ज़ायोनियों द्वारा फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध किये जाने वाले जनसंहारों में से एक ऐतिहासिक जनसंहार, "दैरे यासीन" का है।
9 अप्रैल सन 1948 को ज़ायोनियों के दो अपराधी गुटों ने फ़िलिस्तीन के दैरे यासीन गांव पर हमला करके 250 से 350 फ़िलिस्तीनियों को शहीद कर दिया। इनमें से एक आतंकी गुट आरगन का सरग़ना, मेनाख़िम बेगिन था जो अवैध ज़ायोनी शासन का भूतपूर्व प्रधानमंत्री था। ज़ायोनियों के दूसरे आतंकी गुट का नाम लीही था जिसका नेता इस्हाक़ शमीर था जो बेगिन का उत्तराधिकारी बना।
दैरे यासीन नामक गांव, अवैध अधिकृत बैतुल मुक़द्दस से सटा हुआ पश्चिमी ऊंचाई पर बसा था। इसका इतिहास 1517 में उस्मानी शासन काल से संबन्धित बताया जाता है। सन 1945 में इसकी जनसंख्या लगभग 610 थी। यहां के रहने वालों ने सन 1942 में पलायनकर्ता यहूदियों के साथ हमला न करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इसके अलावा एक बात यह भी थी कि फ़िलिस्तीनियों का दैरे यासीन नामक गांव, उस क्षेत्र से बिल्कुल अलग था जिसको संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओर से अवैध ज़ायोनी शासन के लिए दृष्टिगत रखा गया था।
दैरे यासीन जनसंहार में बच जाने वालों के अनुसार यह हमला, भोर समय में किया गया था। गांववालों के कड़े प्रतिरोध के कारण ज़ायोनी आतंकवादियों ने बैतुल मुक़द्दस की हागाना छावनी से सैन्य बलों और हथियारों की मांग की। इसके बाद ज़ायोनियों ने भारी हथियारों से दैरे यासीन पर फिर से हमला शुरू किया। इस हमले में उन्होंने फ़िलिस्तीनी पुरूषों, महिलाओं और बच्चों का खुलकर जनसंहार किया। उन्होंने फ़िलिस्तीनियों के घरों को बमों और डाइनमाइट से ध्वस्त कर दिया। इस प्रकार से उन्होंने फ़िलिस्तीनियों की भूमि के इस हिस्से को अपने नियंत्रण में ले लिया। आक्रमणकारी ज़ायोनियों ने दैरे यासीन के बहुत से फ़िलिस्तीनियों को दीवार से सटाकर खड़ करके गोलियों से भून दिया। ज़ायोनियों के अत्याचार यहीं पर समाप्त नहीं हुए बल्कि उन्होंने बहुत से फ़िलिस्तीनियों को कारों के पीछे बांधकर बैतुल मुक़द्दस में सड़कों पर घसीटा और जातिवादी नारे लगाए।
मेअर पाएल की रिपोर्ट के अनुसार लेही और एयरगन संगठनों के सदस्यों ने दैरे यासीन के निवासियों के रुपये-पैसे, सोना-चांदी, रेडियो यहां तक की खाने की वस्तुओं तक को लूटा। उन्होंने फ़िलिस्तीनी महिलाओं के साथ बलात्कार किये, गर्भवाती महिलाओं के पेट चाकूओं से काट दिये, कई फ़िलिस्तीनियों के शरीर के अन्य अंगों को काट डाला। उनकी आंखों को निकाल लिया और शवों को क्षत-विक्षत किया। ज़ायोनियों द्वारा यह काम इस उद्देश्य के लिए किया गया था ताकि इस जनसंहार से डरकर अन्य क्षेत्रों के रहने वाले फ़िलिस्तीनी यहां से पलायन करने पर विवश हो जाएं।
इस बारे में इस्राईल की संसद में चार बार सांसद बने येरी तज़ाबान कहते हैं कि जनसंहार के बाद युवा ब्रिगेड के साथ मैं वहां पहुंचा लेकिन कोई भी क्षत विक्षत शव दिखाई नहीं दिया। यह बात, गांव के लोगों और सशस्त्र ज़ायोनियों के बीच गोलीबारी की घटना की झूठी कहानी को रद्द करती है जिसको वर्षों से ज़ायोनियों के विरुद्ध प्रचारित किया जा रहा था।
अस्ल में हुआ यह था कि दैरे यासीन में फ़िलिस्तीनियों का जनंसहार करने के बाद ज़ायोनियों ने फ़िलिस्तीनियों के क्षत-विक्षत शवों को कुओं में डाल दिया और अपने अपराध को छिपाने के लिए उनको ऊपर से बंद कर दिया।
दैरे यासीन के जनसंहार की दुखद कार्यवाही के बाद रेड क्रीसेंट ने अपने प्रतिनिधि को स्थति का अध्ययन करने के लिए वहां पर भेजा। दैरे यासीन के खण्डहरों का मुआएना करते समय उनको कुछ एसे कुंए मिले जिनमें मानव कंकाल थे। बहुत ही निर्दयता से मारे गए दैरे यासीन के लोगों के कंकालों को उनके आदेश पर निकाला गया।
दैरे यासीन के जनसंहार के कारण बहुत से फ़िलिस्तीनी, या तो फ़िलिस्तीन के ही कुछ अन्य क्षेत्रों में चले गए या फिर उन्होंने पड़ोसी अरब देशों की ओर पलायन किया। इस हिसाब से फ़िलिस्तीन में उस समय उनकी 8 लाख की जनसंख्या घटकर लगभग डेढ लाख ही रह गई। दैरे यासीन का यह ज़ायोनी हमला इतना भयावह और ख़तरनाक था कि उसकी निंदा बहुत से यहूदी धर्मगुरुओं ने की। साथ ही एल्बर्ट एंसटाइन तथा मश्हूर इतिहासकार हन्ना अरेंड ने भी इसकी भर्त्सना की थी। हालांकि इस हृदयविदारक घटना पर ब्रिटेन ने कोई विशेष प्रतिक्रिया प्रकट नहीं की जिसके नियंत्रण में पहले विश्व युद्ध से लेकर उस समय तक फ़िलिस्तीनी क्षेत्र रहे थे। उसने सिर्फ इतना एहसान किया कि एक यहूदी को दैरे यासीन घटना की जानकारी और खोजबीन करने के लिए भेज दिया।
दैरे यासीन घटना के बाद इज़ाक स्टेरन और इस्हाक़ शमीर के नाम एल्बर्ट एंसटाइन का विरोधपत्र
दैरे यासीन की रक्तरंजित मानव त्रासदी को अंजाम देने के बाद मोनेख़िम बेगिन और उसके साथियों ने दैरे यासीन से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक ज़ायोनी कालोनी में एक उत्सव मनाया और अपने बीवी-बच्चों तथा मित्रों को बताया कि उन्होंने कितनी बेदर्दी से फ़िलिस्तीनियों का जनसंहार किया। इस घटना को अंजाम देते ही बेगिन को हूरियत नामक पार्टी का मुखिया बना दिया गया जो वर्तमान समय में लिकुड पार्टी के नाम से जानी जाती है। फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार का बेगिन को एक लाभ यह भी हुआ कि वह अवैध ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच गया।
श्रीमती साहेरे दरबास के निर्देशन में, दैरे यासीन गांव के जनसंहार" के शीर्षक के अन्तर्गत एक डाक्यूमेंट्री बनाई गई। इसमें इस नरसंहार में ज़िंदा बच जाने वालों की ज़बानी, इस अमानवीय घटना के बारे में बताया गया है। इस डाक्यूमेंट्री में दैरे यासीन घटना के 5 फ़िलिस्तीनी प्रत्यक्षदर्शियों और 2 ज़ायोनी प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा विस्तार से इसपर प्रकाश डाला गया है। 75 मिनट की इस डाक्यूमेंट्री में एक विस्तृत स्टोरी पेश करने के लिए आरकाइव के फोटो और रेडक्रास के मानचित्रों और रिपोर्टों का सहारा लिया गया है।
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