Jun १५, २०२४ १७:०७ Asia/Kolkata
  • भलाई की तरफ़ हिदायत करो/ ज्ञान के महत्व और सामाजिक मार्गदर्शन के संबंध में इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के 3 स्वर्ण कथन

पार्सटुडे- इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के पोते और शियों के पांचवें इमाम ज्ञान और सद्व्यवहार में बहुत मशहूर थे।

विभिन्न क्षेत्रों जैसे ज्ञान, धार्मिक, सामाजिक, पवित्र क़ुरआन की व्याख्या और नैतिकता के बारे में बहुत सी हदीसें इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के हवाले से बयान की गयी हैं।

 

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार मोहम्मद बिन अली बिन हुसैन बिन अली बिन अबीतालिब इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के नाम से महशूर हैं और अपने पिता इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद उन्होंने इमामत का ईश्वरीय दायित्व संभाला।

 

वह पैग़म्बरे इस्लाम के परपौत्र और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के पोते हैं।

 

इमाम की सबसे मशहूर उपाधि बाक़िर है जिसका अर्थ चीरने वाला होता है और कहा जाता है कि पांचवें इमाम के पैदा होने से पहले पैग़म्बरे इस्लाम ने उन्हें यह उपाधि दी थी।

 

इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने लगभग 19 साल तक इमामत की।

 

सामाजिक अदालत व न्याय के कारण 7 ज़िलहिज्जा 114 हिजरी क़मरी में 57 साल की उम्र में अमवी शासक ने आपको शहीद करवा दिया।

 

इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम को हिजाज़ के बक़ी क़ब्रिस्तान में दफ़्न किया गया है।

इतिहासकारों के अनुसार इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने इल्मी आंदोलन पैदा कर दिया जो उनके बेटे इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के ज़माने में अपने चरम शिखर पर पहुंच गया है।

 

इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के साथियों और शिष्यों की संख्या 462 बतायी गयी है। पार्सटुडे ने इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम की शहादत के उपलक्ष्य में धार्मिक और अख़लाक़ी संबंध में इमाम की 3 मूल्यवान हदीसों को बयान किया है।

  1.  इल्म का ज़कातः इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं कि इल्म की ज़कात अल्लाह के बंदों को उसे सिखाना है। (अलकाफ़ी)

 

2.  दूसरों की हिदायतः इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं जो कोई दूसरे को हिदायत की कोई चीज़ सिखाये तो सिखाने वाले को उस पर अमल करने का प्रतिदान दिया जायेगा और जो लोग उस हिदायत पर अमल करेंगे उनके सवाब में से कोई कमी नहीं की जायेगी।

 

 

3. शैतान के लिए आलिम महत्वपूर्ण है या आबिद?

इस बारे में इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं ख़ुदा की क़सम इब्लीस को एक आलिम का मरना 70 आदिबों के मरने से ज़्यादा पसंद है। MM

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