पैग़म्बरे इस्लाम की व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनीतिक विशेषतायें क्या थीं? कुछ शिक्षाप्रद बिन्दु
पार्सटुडे- इतिहास में इस बात का उल्लेख किया गया है कि पैग़म्बरे इस्लाम स. मोमिनों और लोगों से हमेशा साफ़, स्पष्ट और पारदर्शी ढंग से बात करते थे। वह कभी भी दो रंग की बात नहीं करते थे और जब ज़रूरी होता था नर्मी से बात करते और लचक दिखाते थे।
पैग़म्बरे इस्लाम स. का स्थान बहुत बुलंद व ऊंचा था इसके बावजूद वह हमेशा उन कार्यों को अंजाम देते थे जो उन्हें महान ईश्वर से निकट करते थे और मरते दम तक उनका प्रयास यही था। चूंकि पैग़म्बरे इस्लाम स. अपने सुकर्मों के माध्यम से दिनप्रतिदिन महान ईश्वर के निकट होते जा रहे थे यानी उसका सामिप्य प्राप्त करते जा रहे थे।
इसका अर्थ यह है कि पैग़म्बरे इस्लाम बेअसत की पहली साल और उसके 23 साल के बाद एक जैसे नहीं थे। पैग़म्बरे इस्लाम ने जिस समय अपनी पैग़म्बरी की घोषणा की उस समय को बेअसत कहते हैं। पैग़म्बरे इस्लाम स. ने बेअसत के 23 वर्षों के बाद महान ईश्वर से सामिप्य का वह स्थान प्राप्त कर लिया जो बेअसत के पहले दिन नहीं था।
यहां हम पैग़म्बरे इस्लाम स. के जीवन के कुछ बिन्दुओं को बयान कर रहे हैं।
पैग़म्बरे इस्लाम स. की उपासनाः
पैग़म्बरे इस्लाम स. का मक़ाम बहुत ऊंचा था इसके बावजूद वह महान ईश्वर की उपासना से बेख़बर नहीं थे और आधी रात को रोते और दुआ व प्रायश्चित करते थे। पैग़म्बरे इस्लाम स. की एक धर्मपत्नी उम्मे सल्मा ने देखा कि पैग़म्बरे इस्लाम नहीं हैं तो वह उनकी तलाश में गयीं तो देखा कि पैग़म्बरे इस्लाम प्रार्थना करने में लीन हैं और रो रहे हैं और प्रायश्चित कर रहे हैं। वह कह रहे हैं कि मेरे पालनहार! मुझे एक पल के लिए भी मेरी हाल पर मत छोड़ना। यह सुनकर उम्मे सल्मा रोने लगीं।
जब उम्मे सल्मा के रोने की आवाज़ पैग़म्बरे इस्लाम के कानों में पड़ी तो उन्होंने उम्मे सल्मा से फ़रमाया कि तुम यहां क्या कर रही हो? इस पर उन्होंने कहा कि हे ईश्वरीय दूत! जब महान ईश्वर आपसे इतना प्रेम करता है तो आपको रोने की क्या ज़रूरत है और कह रहे हैं कि पालनहार! मुझे एक क्षण के लिए भी अपनी हाल पर न छोड़ना? इस पर पैग़म्बरे इस्लाम स. ने फ़रमाया कि अगर महान ईश्वर से ग़ाफ़िल हो जाऊंगा तो कौन सी चीज़ मेरी रक्षा करेगी?
यह हमारे लिए पाठ है। इज़्ज़त, ज़िल्लत और सख़्ती के दिनों में, इसी प्रकार उस दिन जब दुश्मन इंसान का परिवेष्टन कर लेता है, अपनी पूरी ताक़त के साथ इंसान पर स्वयं को थोपने की कोशिश करता है। इंसान को चाहिये कि वह हर हाल में अपने पालनहार की याद में रहे और कभी उसे न भूले, उस पर भरोसा करना चाहिये। पैग़म्बरे इस्लाम की इस शैली से सबसे बड़ा पाठ हमें यही मिलता है।
ख़ाना खाने और वस्त्र धारण करने में पैग़म्बरे इस्लाम का आचरण
पैग़म्बरे इस्लाम साधारण वस्त्र धारण करते थे जो भी ख़ाना होता थे वही उनके सामने पेश किया जाता था और उसे वह खाते थे। कभी भी विशेष खाने की इच्छा प्रकट नहीं करते थे और कभी भी यह कहकर कोई खाना वापस नहीं कहते थे कि यह खाना मुझे पसंद नहीं करते थे।
पैग़म्बरे इस्लाम का व्यवहार व अख़लाक़
पैग़म्बरे इस्लाम स. की एक पत्नी से पूछा गया कि पैग़म्बरे इस्लाम के अख़लाक़ को बयान करो तो जवाब में पैग़म्बरे इस्लाम की पत्नी ने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम का अख़लाक़ क़ुरआन था यानी आप जो कुछ एक अच्छे इंसान के बारे में पवित्र क़ुरआन में पढ़ते हैं वह समस्त विशेषतायें पैग़म्बरे इस्लाम के अंदर मौजूद थीं। यानी हमारे व्यवहार और अख़लाक़ को उस चीज़ के अनुसार होना चाहिये जो हम कहते हैं और दूसरों को उसकी तरफ़ बुलाते हैं।
पैग़म्बरे इस्लाम का इल्मी आचरण
یُزَکّیهم و یُعَلِّمُهم الکتابَ و الحکمة पवित्र क़ुरआन की इस आयत के अलावा पैग़म्बरे इस्लाम की एक हदीस है जिसका कई स्थानों पर उल्लेख किया गया है और उस हदीस में पैग़म्बरे इस्लाम ने फ़रमाया है कि ईश्वर ने मुझे शिक्षक बनाकर भेजा है। यानी आसान करके पेश करने वाला। वास्तव में ज़िन्दगी को अपने शिक्षार्थियों के लिए अपनी शिक्षा के माध्यम से आसान व सरल बनाकर पेश करता हूं। यह आसान और सरल बना कर पेश करना अलग चीज़ है और किसी चीज़ को सरलता से लेना और उसकी अनदेखी कर देना अलग चीज़ है।
पैग़म्बरे इस्लाम का सांस्कृतिक आचरण
यह शिक्षक वह काम करता है और वह शैली अपनाता है जो इस्लामी समाज में एक स्थाई चीज़ के रूप में सामने आती है और लोगों की आस्थाओं और ग़लत विचारों से मुक़ाबला के लिए उठ खड़ा होता है। यह शिक्षक अज्ञानता के काल की ग़लत व अतार्किक परम्पराओं से मुक़ाबला करता है और उचित समय में उचित शैली के माध्यम से ऐसा काम करता है जिससे लोगों का जीवन पैग़म्बरे इस्लाम की जीवनशैली से सुशोभित हो जाता है।
पैग़म्बरे इस्लाम का सामाजिक जीवन
लोगों के साथ पैग़म्बरे इस्लाम का व्यवहार बहुत ही अच्छा था। लोगों के मध्य पैग़म्बरे इस्लाम हमेशा प्रसन्न रहते थे और जब अकेले हो जाते थे तो लोगों का दुःख उनके चेहरे पर स्पष्ट हो जाता था मगर जब वे लोगों के मध्य होते थे तो उनके दुःखों को स्पष्ट नहीं करते थे और गिला व शिकवा नहीं करते थे और किसी को भी इस बात की अनुमति नहीं थी कि पैग़म्बरे इस्लाम की उपस्थिति में लोगों को बुरा भला कहे। ख़ुद पैग़म्बरे इस्लाम किसी को भी बुरा भला नहीं कहते थे। पैग़म्बरे इस्लाम बच्चों के साथ बहुत ही दयालुता व नर्मी के साथ पेश आते थे। इसी तरह वह महिलाओं के साथ बहुत मेहरबानी के साथ पेश आते थे। इसी तरह पैग़म्बरे इस्लाम कमज़ोरों के साथ बहुत ही प्रेमपूर्ण ढंग से व्यवहार करते थे। अपने अनुयाइयों के साथ मज़ाक़ करते थे और उनके साथ घुड़सवारी का मुक़ाबला करते थे।
पैग़म्बरे इस्लाम का राजनीतिक आचरण
पैग़म्बरे इस्लाम कभी भी दोरंग की बात नहीं करते थे। अलबत्ता जब दुश्मन का सामना होता था तो बड़ी सूक्ष्मता से राजनीतिक कार्य अंजाम देते थे और दुश्मन को असमंजस में डाल देते थे। बहुत से अवसरों पर पैग़म्बरे इस्लाम ने दुश्मनों को असमंजस में डाला चाहे सैनिक दृष्टि से हो या राजनीतिक दृष्टि से और ज़रूरत के समय नर्मी व लचक का प्रदर्शन करते थे। MM
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