पवित्र क़ुरआन के अपमान पर इस्लामी देशों की कड़ी प्रतिक्रिया
मुसलमानों की पवित्र पुस्तक क़ुरआन के अनादर पर हर ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
इस्लामी देशों ने पवित्र क़ुरआन के जलाए जाने के बारे में कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसकी भर्त्सना की है। इन देशों ने स्वीडन की सरकार को संयुक्त रूप में एक पत्र भेजकर इस बारे में अपनी चिंता जताई है।
सूमरिया न्यूज़ एजेन्सी के अनुसार इराक़ के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि इस्लामी सहयोग संगठन के समस्त देशों ने एक संयुक्त पत्र लिखकर बहुत ही कड़े शब्दों में पवित्र क़ुरआन के अनादर की निंदा की है।
इस्लामी देशों के प्रतिनिधियों ने रविवार को स्वीडन के विदेशमंत्री तोबियस बेलस्ट्रोम के नाम एक संयुक्त पत्र भेजकर कहा है कि पवित्र क़ुरआन को जलाने जैसा काम धार्मिक मतभेद बढ़ाने वाला है। पत्र के अनुसार इस काम से पता चलता है कि दूसरों की आस्था पर हमला करना एक स्वीकारीय काम होता जा रहा है जो ग़लत है।
इस्लामी देशों की ओर से भेजे गए संयुक्त पत्र में कहा गया है कि स्वीडन की सरकार की ओर से पवित्र क़ुरआन को जलाए जाने की अनुमति, किसी भी स्थति में संयुक्त राष्ट्रसंघ के उन प्रस्तावों से मेल नहीं खाती जिनमें धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन किया गया है। पवित्र क़ुरआन के अनादर के विषय की समीक्षा के उद्देश्य से इस्लामी देशों के प्रतिनिधि सोमवार को एक आपातकालीन बैठक करने जा रहे हैं।
याद रहे कि 20 जूलाई को इराक़ी मूल के स्वीडिश नागरिक स्लोवान मूमिका ने स्वीडन की पुलिस के समर्थन से पवित्र क़ुरआन का अनादर किया था। इस घटना के बाद डेनमार्क के एक अतिवादी दक्षिणपंथी गुट ने कोपेनहेगन में इराक़ के दूतावास के बाहर पवित्र क़ुरआन की एक प्रति को आग लगा दी थी। इस विषय पर पूरी दुनिया से कड़ी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
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