Sep २७, २०२४ १९:०५ Asia/Kolkata
  • इस बात की क्या गारंटी है कि इसराइल और पश्चिम अपने उत्पादों में बम फ़िट नहीं करेंगे?

टेक्नोलोजिकल टेररिज़्म, एक नई टर्म है, जो आजकल इसराइल द्वारा लेबनान में किए गए पेजर और रेडियो हमलों के बाद चर्चा में है।

पिछले हफ़्ते ज़ायोनी शासन ने लगातार दो दिन दूर संचार उपकरणों में व्यापर रूप से विस्फ़ोट किए। इस हमले में कम से कम 37 लोगों की जानें गईं, तो वहीं हज़ारों लोग ज़ख़्मी हो गए।

वैश्विक बाज़ार में बेचैनी

पश्चिम देशों का एक शक्तिशाली हथियार, वैश्विक बाज़ार पर कंट्रोल है। यानी जो चीज़ बेची जाती है, बनाई जाती है और उसे रजिस्टर्ड करवाया जाता है, उस पर पश्चिमी देशों का अधिकार है।

इस्राईल की आतंकी मशीनरी के कारण, अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या गारंटी है, पश्चिमी देश और इस्राईल, निर्यात होने वाले अपने उत्पादों में बम फ़िट नहीं करेंगे।

जॉन एफ़ कैनेडी स्कूल में प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ ब्रूस श्नीयर, ने न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखाः यह स्पष्ट नहीं है कि इस तरह के हमलों का कैसे बचाव किया जाएगा।

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नीतिगत मुद्दों के विशेषज्ञ पाओलो ट्रैयोलो का इस संदर्भ में मानना ​​हैः लेबनान में हाल ही में हुए इसराइली आतंकवादी हमले से संभवतः संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की आपूर्ति श्रृंखलाओं के बारे में अन्य देशों में चिंता पैदा होगी और संभावित जोखिमों का पुनर्मूल्यांकन होगा और इससे आपूर्तिकर्ताओं पर संदेह बढ़ जाएगा।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि हमारे कंप्यूटर असुरक्षित हैं और इसी तरह हम कह सकते हैं कि कार, रेफ्रिजरेटर्स और हमारे आसपास आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले कई अन्य उपकरण भी संदेह के दायरे में आते हैं।

इसराइल की अर्थव्यवस्था पर टेक्नोलोजी आतंकवाद का नकारात्मक प्रभाव

विश्लेषकों का मानना है कि इसराइल के हालिया हमलों का न केवल उसके रणनीतिक हितों पर बुरा असर पड़ेगा, बल्कि पश्चिम देशों के उत्पादों का निर्यात भी प्रभावित होगा।

अमरीकी विश्लेषक पैट्रिक किंग्सले न्यूयॉर्क टाइम्स में एक नोट में लिखते हैः इसराइल अपने दोस्तों और दुश्मनों की नज़र में तकनीकी रूप से मज़बूत है, लेकिन रणनीतिक रूप से भ्रमित है।

इसराइल के पूर्व प्रधान मंत्री एहुद ओलमर्ट का भी मानना ​​है कि इसराइल के नेता प्रभावी क़दम उठाने में विफल रहे हैं।

डॉलर के प्रभाव में कमी

अमरीका द्वारा डॉलर के प्रभाव के दुरुपयोग की वजह से इस तरह की घटनाएं डॉलर पर अविश्वास बढ़ा रही हैं। इसराइल के समर्थक के रूप में आज अमरीका का आधिपत्य घट रहा है और वैकल्पिक मॉडल के रूप में ब्रिक्स या शंघाई सहयोग संगठन जैसे ग़ैर-पश्चिमी आर्थिक गठबंधन दुनिया के लिए उचित मार्ग प्रदान कर रहे हैं। msm

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