Sep २९, २०२४ १७:१५ Asia/Kolkata
  • किस तरह से बीबीसी हिज़्बुल्लाह और लेबनान के ख़िलाफ़ इज़राइल के अपराधों के लिए लोगों के मन को कैसे तैयार करता है? 9 टेक्टिक
    किस तरह से बीबीसी हिज़्बुल्लाह और लेबनान के ख़िलाफ़ इज़राइल के अपराधों के लिए लोगों के मन को कैसे तैयार करता है? 9 टेक्टिक

पार्सटुडे- सर्वेक्षणों के अनुसार, हिज़बुल्लाह के सीमित हमलों पर ध्यान केंद्रित करके, बीबीसी जनता की राय, ग़ज़ा और लेबनान में इज़राइल के व्यापक अपराधों से बदलना चाहता है।

पश्चिम एशिया के हालात के संबंध में प्रमुख पश्चिमी मीडिया, विशेष रूप से बीबीसी ने ज़ाहिर कर दिया है कि वे इज़राइल के मनोवैज्ञानिक युद्ध की सेवा में एक हथियार के रूप में कार्य करते हैं।

शब्दों का चयन, समाचारों की डिज़ाइनिंग और घटनाओं का ज़िक्र करके, ये मीडिया न केवल सच्चाई को तोड़ मरोड़कर पेश करते हैं, बल्कि इज़राइल के अपराधों को व्यवस्थित रूप से उचित और क़ानूनी भी ठहराते हैं।

पार्सटुडे के इस लेख में, इजराइली शासन के बारे में बीबीसी के व्यवहार और हिज़्बुल्लाह के साम्राज्यवादी विरोधी प्रतिरोध पर ध्यान केंद्रित करते हुए, उसकी मनोवैज्ञानिक रणनीतियों के कुछ पहलुओं पर नज़र डाली गयी है।

 

1- रिपोर्टों को भाषा और शब्दों के लेहाज से हथियार बनाना

 

बीबीसी और अन्य समान मीडिया "साहसी", "आक्रामक" और "लक्षित" जैसे शब्दों का उपयोग करके इज़राइल की आक्रामकता की प्रवृत्ति को तोड़ मरोड़ कर पेश करने और इसे सकारात्मक या तटस्थ दिखाने की कोशिश करते हैं।

मिसाल के तौर पर बीबीसी की रिपोर्टें लेबनान पर इज़राइल के घातक हमलों को "तनाव कम करने के लिए तेज़" या "सुरक्षा बहाल करने के लिए तेज़ ज़रूरत" बताती हैं जबकि यह जुमले नागरिकों की हत्या और लेबनानी बुनियादी ढांचे के विनाश को तर्कसंगत रूप में पेश करने का प्रयास करते हैं।

बीबीसी की एक रिपोर्ट में इज़राइली शासन के हमलों को "एक साहसिक और जटिल ऑपरेशन" बताया गया, जिसका इस्तेमाल इज़राइल के युद्ध अपराधों की गंभीरता को बनाए रखते हुए उनकी प्रशंसा करने के लिए किया जाता है।

 

2- आत्मरक्षा के अधिकार का झूठा दावा करना और इज़राइल के हमलों को क़ानूनी बताना

 

मुख्यधारा का पश्चिमी मीडिया व्यापक रूप से और स्पष्ट रूप से आत्मरक्षा के अधिकार के लिए इज़राइल के दावे को मान्यता देता है जबकि हिज़्बुल्लाह के इस अधिकार की अनदेखी करता है। मिसाल के तौर पर बीबीसी लगातार हिज़्बुल्लाह के सीमित और अप्रभावी हमलों को मुख्य ख़तरे के रूप में पेश करता है जबकि  सीमा पार होने वाले 9600 हमलों में से 7845 हमले इजराइल ने किए हैं।

बीबीसी इज़राइल के हमलों को क़ानूनी बचाव के रूप में दिखाता करता है और लेबनान में मारे गये और शहीद होने वालों की उच्च संख्या बताने से कतराता है।

 

3-इजराइली प्रोपेगैंडों का बिना सोचे-समझे प्रसारण

 

बीबीसी बिना सोचे-समझे फ़र्ज़ी इजराइली प्रोपेगैंडा वीडियो प्रसारित करता है जिसमें लेबनानी घरों पर हिज़्बुल्लाह के रॉकेटों को तैनात दिखाया गया है। इन वीडियोज़ का , जो ग़ज़ा में मिसाइलों को छिपाने के बारे में इज़राइल के पिछले प्रोपेगैंडे के समान हैं, कोई आधार नहीं है और ये लेबनानी नागरिकों की हत्या और जातीय सफाए को उचित ठहराने का एक मात्र एक बहाना हैं।

ऐसे ही एक वीडियो में, जिसे बीबीसी ने व्यापक रूप से प्रसारित किया था, दावा किया गया है कि हिज़्बुल्लाह की मिसाइलें घरों के लिविंग रूम में छिपी हुई हैं, जिनके बारे में कोई पुख़्ता सबूत भी नहीं है और यह पूरी तरह से कंप्यूटर का कारनामा नज़र आता है।

 

4- हिज़्बुल्लाह की मिसाइल धमकियों को बढ़ा चढ़ाकर पेश करना और इज़राइल के अपराधों को कम महत्व देना

 

बीबीसी की एक रिपोर्ट में इज़राइली शासन के हमलों को "एक साहसिक और जटिल ऑपरेशन" बताया गया, जिसका इस्तेमाल इज़राइल के युद्ध अपराधों की गंभीरता को बनाए रखते हुए उनकी प्रशंसा करने के लिए किया जाता है।

 

5- हिज़्बुल्लाह के हमलों के असली कारणों को छिपाना

 

बीबीसी हिज़्बुल्लाह के हमलों की वास्तविक वजहों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करता है। हिज़्बुल्लाह ने बारम्बार कहा है कि रॉकेट हमलों से उसका लक्ष्य, ग़ज़ा पर क़ब्ज़ा खत्म करना और नियंत्रित दबाव के ज़रिए फ़िलिस्तीनियों की हत्या को रोकना है लेकिन बीबीसी इन मानवीय मांगों को नज़रअंदाज करता है और हिजबुल्लाह को एक "आतंकवादी" शक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है।

एक अन्य रिपोर्ट में, बीबीसी ने एक इजराइली अधिकारी के हवाले से हिज़्बुल्लाह पर "स्वाभाविक रूप से यहूदी विरोधी" होने का आरोप लगाया और उसके बाद हिज़्बुल्लाह के कार्यों के वास्तविक कारणों को बताने से परहेज़ किया।

 

6- "टारगेट्स" के बारे में इज़राइल की कहानी को बिना शर्त क़बूल करना

बीबीसी बिना किसी आलोचना के इज़राइली शासन के दावों को दोहराता है कि उसके सभी बमबारी के टारगेट्स सैन्य हैं और हिज़्बुल्लाह के हैं।

यह नज़रिया इस तथ्य के बावजूद है कि इन हमलों में मरने वालों और घायलों में ज़्यादातर नागरिक हैं जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। मिसाल के तौर पर बीबीसी की एक रिपोर्ट में, इजराइली सेना ने बताया कि 2000 से अधिक हिज़्बुल्लाह के टारगेट्स पर बमबारी की गई, जबकि इन दावों की सटीकता को परखने के लिए कोई जांच नहीं की गई और नागरिक के हताहत होने की संख्या को नज़रअंदाज कर दिया गया।

 

7-इज़राइल द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के बारम्बार उल्लंघन को छुपाना

 

कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने फ़िलिस्तीन पर कब्ज़े को अवैध और मानवता के विरुद्ध अपराध का नमूना क़रार दिया है, हालांकि, बीबीसी कभी भी इन अपराधों का ज़िक्र तक नहीं करता है और आधिकारिक रूप से इज़राइली कहानी पर ध्यान केंद्रित करता है। इस संबंध में, इज़राइल द्वारा संचार उपकरणों पर बमबारी और प्रतिबंधित हथियारों के इस्तेमाल जैसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन को पूरी तरह से नज़रअंदाज कर दिया गया है।

 

8- जनमत का फ़ोकस बदलने में भूमिका निभाना

 

बीबीसी भी हिज़्बुल्लाह के सीमित हमलों पर ध्यान केंद्रित करके ग़ज़ और लेबनान में इज़राइल के बड़े पैमाने पर अत्याचारों से जनता का ध्यान हटा रहा है।vاफोकस में यह बदलाव इज़राइल को अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया के बिना अपने कार्यों को जारी रखने की इजाज़त देता है।

 

9- इज़राइली हमलों को सामान्य बताना और लेबनानी प्रतिरोध की निंदा करना

 

इज़राइल के हमलों को सामान्य बताकर और इसे इस देश के "स्वाभाविक अधिकार" के रूप में प्रस्तुत करके, बीबीसी लेबनानी प्रतिरोध को नकारात्मक और ख़तरनाक तरीके से प्रस्तुत करता है। यह ग़लतबयानी इज़राइल के साम्राज्यवादी लक्ष्यों और अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के उल्लंघन को क़ानूनी शक्ल देती है।

परिणामस्वरूप, मुख्य पश्चिमी मीडिया, विशेष रूप से बीबीसी, इज़राइल के राजनीतिक हितों की सेवा में व्यवस्थित रूप से सच्चाई को उलट फेरकर दिखाता है। पक्षपातपूर्ण ज़बान, अधूरा प्रतिनिधित्व और झूठा प्रचार करके ये मीडिया इज़राइल के अपराधों को छुपाते हैं और उसके हमलों को वैध बताते हैं।

 

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