इस्राईली सेना की संकटमयी स्थिति
ज़ायोनी शासन के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में सेना में भर्ती के लिए जवानों की घटती रुचि और सेना के सैनिकों फ़रार होने की घटना में वृद्धि, इस शासन के लिए समस्या का विषय बन गयी है।
ज़ायोनी शासन अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन सेना में अनिवार्य सैन्य सेवा से भागने के विषय से बहुत अधिक चिंतित है और इस मुद्दे ने ज़ायोनी अधिकारियों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। ज़ायोनी समाचार पत्र हारेट्ज़ ने अपने ताज़ा संस्करण में लिखा कि इस्राईल की सेना ने सेना से फ़रार होने के विषय को रोकने के लिए बहुत अधिक प्रयास किए हैं किन्तु उसके बाद यह प्रक्रिया यथावत जारी है और इस विषय ने ज़ायोनी शासन के अधिकारियों की नीदें उड़ा दी हैं।
समाचार पत्र लिखता है कि वर्ष 2016 में इस्राईली सेना की ओर से जारी होने वाले आंकड़े के आधार पर प्रतिवर्ष लगभग सात हज़ार इस्राईली सैनिक सेना छोड़ रहे हैं। समाचार पत्र लिखता है कि अनिवार्य सैन्य सेवा की अवधि 36 महीने से घटा कर 32 महीने कर दी गयी है किन्तु समस्या यथावत जारी है।
इस्राईली सेना की ओर से जारी आंकड़ों के आधार पर हालिया वर्ष के दौरान ज़ायोनी शासन में सेवारत 40 प्रतिशत से अधिक लोगों ने भी सैन्य सेवा से इन्कार कर दिया। कहा जा रहा है कि ज़ायोनी अधिकारियों ने हालिया महीनों के दौरान सेना में अनुशासनहीनता में वृद्धि की ओर से सचेत करते हुएस बल दिया कि इस अनुशासनहीनता या अवज्ञा के कारण इस्राईल बिखराव का शिकार हो सकता है।
यह भी कहा जाता है कि इस्राईल एक अवैध और अतिक्रमणकारी शासन है जो व्यवहारिक रूप से अपनी विस्तारवादी नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए सेना पर बहुत अधिक विश्वास करता है और इस शासन के युद्ध संसाधनों और सैन्य उपकरणों में से एक सेना भी है किन्तु हालिया वर्षों में ज़ायोनी शासन की सेना को भीषण संकट का सामना है और यह इस शासन के विघटन की भूमिका बन सकता है। (AK)