इस्राईल से पलायन ज़ायोनी शासन के लिए डरावना सपना
इस्राईल से पलायन ज़ायोनी शासन के लिए डरावना सपना
ज़ायोनी शासन के पलायनकर्ता मंत्रालय ने रूसी यहूदियों के अतिग्रहित फ़िलिस्तीन से पलायन पर चिंता जतायी है।
ज़ायोनी शासन के पलायनकर्ता मंत्रालय के नए आंकड़े के अनुसार, “पिछले 14 साल में ज़ायोनी शासन के 2 लाख 90 हज़ार 300 कथित नागरिक अतिग्रहित फ़िलिस्तीन को छोड़ कर चले गए और फिर वापस नहीं लौटे।” इस मंत्रालय ने इसी प्रकार बताया कि पिछले 14 साल में इस्राईल को छोड़कर जाने वाले यहूदियों में 38 फ़ीसद रूसी यहूदी थे।
अतिग्रहित फ़िलिस्तीन में रूसी यहूदियों को रोज़गार के लिए प्रशासनिक रुकावटों का सामना करना पड़ता है। इसी प्रकार विवाह और मृतकों को दफ़्न करने के संबंध में कठोर सीमित्ताओं का सामना करना पड़ता है। इसी प्रकार रूसी यहूदी सामाजिक व सरकारी स्तर पर भेदभाव का भी शिकार हैं। ये सब वे बाते हैं जो रूसी यहूदियों के अतिग्रहित फ़िलिस्तीन को हमेशा छोड़ कर जाने का कारण बनी हैं।
इस्राईली समाज, विभिन्न वर्गों वाले समाज पर आधारित है जिससे ख़ुद इस्राईल के नस्लभेदी शासन होने का पता चलता है। अतिग्रहित फ़िलिस्तीन में फ़िलिस्तीनियों के साथ इस्राईल का नस्लभेदी व्यवहार जग ज़ाहिर है। ख़ुद अतिग्रहित फिलिस्तीन पलायन करने वाले यहूदियों के साथ भेदभाव किया जाता है। यूरोप से अतिग्रहित फ़िलिस्तीन जाने वाले यहूदियों को एश्केनाज़ी कहा जाता है और उन्हें प्रथम दर्जे का कथित नागरिक समझा जाता है जबकि पूर्वी देशों से जाने वाले यहूदियों को सेफ़ार्डिक कहा जाता है और उन्हें दूसरे दर्जे का कथित नागरिक समझा जाता है।
इस नस्लभेदी व्यवहार से यह बात स्पष्ट हो गयी है कि ज़ायोनी समाज ज़ात-पात पर आधारित विभिन्न वर्गों वाला समाज है जहां बहुत ज़्यादा सामाजिक अन्याय व्याप्त है।
बहरहाल ज़ायोनी शासन ने यहूदियों के लिए जिस कथित स्वर्ग का सपना देखा था वह वास्तव में ऐसा नरक है जहां से ज़ायोनी फ़रार कर रहे हैं और इस प्रक्रिया में तेज़ी, अवैध ज़ायोनी शासन के भविष्य के लिए डरावना सपना बन गयी है। (MAQ/T)