इमारात की फ़ज़ीहत से डरा बहरैन, पोम्पेयो से कहा नहीं कर सकते इस्राईल से दोस्ती, नाकाम मिशन के बाद ख़ाली हाथ वाशिंग्टन लौटे अमरीकी विदेश मंत्री!
(last modified Fri, 28 Aug 2020 09:13:00 GMT )
Aug २८, २०२० १४:४३ Asia/Kolkata
  • इमारात की फ़ज़ीहत से डरा बहरैन, पोम्पेयो से कहा नहीं कर सकते इस्राईल से दोस्ती, नाकाम मिशन के बाद ख़ाली हाथ वाशिंग्टन लौटे अमरीकी विदेश मंत्री!

अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो क्षेत्रीय देशों की यात्रा पर आए थे और यात्रा से पहले अमरीकी अधिकारी दावा कर रहे थे कि इमारात के बाद अब दूसरे भी कई अरब देश इस्राईल से संबंध स्थापित करने में दिलचस्पी ले रहे हैं।

इन बयानों से यह अंदाज़ा हो गया था कि एक तरफ़ पोम्पेयो और दूसरी ओर अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प के सलाहकार जेर्ड कुशनर अरब देशों को इस्राईल से दोस्ती का एलान करने पर रज़ामंद करने के लिए दौरे कर रहे हैं। लेकिन सूडान और फिर बहरैन में जिस तरह पोम्पेयो को दो टूक जवाब मिला है उससे साफ़ हो गया कि ट्रम्प और कुशनर दोनों का मिशन फ़ेल हो गया।

इमारात-इस्राईल शांति समझौते का एलान होने के बाद फ़िलिस्तीन के साथ ही दूसरे कई इस्लामी देशों में जनता के स्तर पर जो कठोर प्रतिक्रिया सामने आई है उससे बहरैन और सूडान जैसे देशों की सरकारें डर गई हैं जो हालिया वर्षों में जनता की ताक़त देख चुकी हैं।

बहरैन नरेश हमद बिन ईसा आले ख़लीफ़ा ने अमरीकी विदेश मंत्री से अपनी मुलाक़ात में कहा कि उनका देश अरब शांति प्रस्ताव के तहत चाहता है कि इस्राईल 1967 में क़ब्ज़े में लिए गए फ़िलिस्तीनी इलाक़ों से अपना क़ब्ज़ा ख़त्म करे।

 

बहरैन की सरकारी न्यूज़ एजेंसी के अनुसार शैख़ हमद ने कहा कि टू स्टेट समाधान पर अमल किया जाए और फ़िलिस्तीनी राष्ट्र की स्थापना हो जिसकी राजधानी पूर्वी बैतुल मुक़द्दस हो।

सऊदी अरब के विदेश मंत्री फ़ैसल बिन फ़रहान ने कहा है कि हम इस्राईल से उस समय तक संबंध स्थापित नहीं कर सकते जब तक ज़ायोनी शासन फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के साथ अंतर्राष्ट्रीय शांति समझौता नहीं कर लेता।

सूडान के प्रधानमंत्री हमदूक ने भी पोम्पेयो से साफ़ साफ़ कह दिया कि उनकी सरकार को इस्राईल से संबंध स्थापित करने का मैनडेट नहीं मिला है।

मिशन में खुली नाकामी और इलाक़े से ख़ाली हाथ लौटने के बाद पोम्पेयो ने अब यह कहना शुरू कर दिया है कि वह 20 सितम्बर तक ईरान पर सारे प्रतिबंध फिर से लगवा देंगे। इस तरह वह अरब देशों को संदेश देना चाहते हैं कि उनके पास इस्राईल से संबंधों की स्थापना के लिए 20 सितम्बर तक का समय है इस अवधि में वह अपने फ़ैसले का एलान कर दें।

इस्राईल से अरब सरकारों के ख़ुफ़िया संबंध पहले से चले आ रहे हैं लेकिन यह सरकारें जनता की कड़ी प्रतिक्रिया के डर से इसका एलान नहीं कर पा रही हैं।

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