क्या इस बार कड़ाके की सर्दी से मुक़ाबला कर पाएंगे आम अफ़ग़ानी ?
(last modified Mon, 08 Nov 2021 10:48:33 GMT )
Nov ०८, २०२१ १६:१८ Asia/Kolkata

अफ़ग़ानिस्तान में सरकारी कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है।

.......यह राजधानी काबुल हैं जहां पर ईंधन बेचने वाले कड़ाके की सर्दी का मुक़ाबला करने की तैयारी कर रहे हैं ......लेकिन अफ़ग़ानियों के अनुसार ईंधन की क़ीमत बहुत अधिक है .....अफ़ग़ानिस्तान की कड़ाके की सर्दी से मुक़ाबले के लिए हरएक के पास ईंधन ख़रीदने की क्षमता नहीं है.....रिपोर्टों के अनुसार पिछले दस वर्षों के दौरान अफ़ग़ानिस्तान में चीज़ों की क़ीमतें बहुत बढ़ गई हैं।  मुश्किल केवल क़ीमतों का बढ़ जाना ही नहीं है बल्कि अतिग्रहण के अन्तिम दिनों में अफ़ग़ानिस्तान के बैंक ख़ाली हो गए।  पैसे वाले और पूंजीपति या तो देश छोड़कर चले गए या फिर अमरीका और उसके घटकों ने उनको अफ़ग़ानिस्तान से बाहर कर दिया।  इस अफ़ग़ानी युवा से मैंने रोज़गार के बारे में पूछा तो कहता है कि नहीं है ...... दूसरी ओर अफ़ग़ानिस्तान में सरकारी कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है।  नौकरी के पैसे मिलते थे तो ज़रूरत की चीज़ें ख़रीद लिया करते थे लेकिन अब पैसे नहीं हैं........हाल ही में काबुल का दौरा करने वाले अनरवा के प्रमुख ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान एक मानवीय त्रासदी की ओर बढ़ रहा है। भुखमरी के कारण लोग अपने बच्चों तक को बेच रहे हैं ताकि दो जून की रोटी मिल सके। अफ़ग़ानियों के लिए सख़्त दिन एसे हालात में शुरू हुए हैं कि पिछले तीन महीनों से तालेबान ने काबुल पर नियंत्रण कर रखा है और उनकी सरकार को अभी तक मान्यता नहीं मिल पाई है।  यूरोप और अमरीका की बैंकों में अफ़ग़ानियों की साढे नौ अरब डालर की संपत्ति रोक ली गई है जिसे अमरीका नहीं दे रहा है।  डब्लूएचओ ने कहा है कि इस समय दो करोड़ तीस लाख लोग अर्थात वहां की एक तिहाई आबादी को खाद्य पदार्थों की भारी कमी का सामना है।  काबुल से आईआरआईबी के लिए बेहनाम यज़ादी की रिपोर्ट।

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