रूस के ख़िलाफ़ पश्चिम की आर्थिक जंग का एलान
यूक्रेन में जैसे जैसे युद्ध भीषण रूप लेता जा रहा है, यूरोप और पश्चिम में तनाव बढ़ता जा रहा है।
इसी के साथ पश्चिमी सहयोगियों ने रूस के ख़िलाफ़ आर्थिक और मानसिक युद्ध छेड़ दिया है। अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने रूस के कई बैंकों को स्विफ़्ट भुगतान प्रणाली से बाहर कर दिया है और यूक्रेन को अधिक हथियारों की आपूर्ति की घोषणा की है।
दूसरी ओर रूस की सेना हमले के चौथे दिन भी लगातार आगे बढ़ रही है और रविवार को उसने यूक्रेन के तेल और गैस संसाधनों पर ताबड़तोड़ हमले किए। यूक्रेन के कई हिस्सों से ऐसे हमलों की ख़बरें आ रही हैं।
राजधानी कीएव से 30 किलोमीटर दूर वासिलकीव ऑयल टर्मिनल को मिसाइल से निशाना बनाया गया है।
इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की पश्चिमा देशों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। जिसके बाद जर्मनी ने भी यूक्रेन को लेकर अपनी नीति में बड़ा बदलाव किया है और यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति की बात कही है। जर्मनी 1 हज़ार एंटी-टैंक हथियार और पांच सौ ज़मीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल यूक्रेन को भेजेगा।
जर्मनी, यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा कर चुका है और इसी क्रम में उसने युद्ध क्षेत्रों में हथियारों को निर्यात करने पर प्रतिबंध वाली अपनी पुरानी नीति में परिवर्तन किया है।
अमरीका ने रूस के ख़िलाफ़ कड़े प्रतिबंधों के अलावा, यूक्रेन को जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइल, एंटी-एयरक्राफ़्ट सिस्टम समेत 350 मिलियन डॉलर के हथियारों की आपूर्ति का आश्वासन दिया है।
पश्चिमी सहयोगियों की इन कार्यवाहियों के जवाब में रूसी अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें पहले से ही पश्चिम के इस तरह के फ़ैसलों की उम्मीद थी। हालांकि सहयोगी देशों के इन क़दमों से रूस की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
सीएनएन के वरिष्ठ पत्रकार केटलन कोलिंस का कहना है कि स्विफ़्ट भुगतान प्रणाली से रूस के बाहर करने का मतलब यूक्रेन पर हमले का जवाब परमाणु बम से देना है।
मास्को भी काफ़ी लम्बे समय से पश्चिम के इस तरह के क़दमों का मुक़ाबला करने के लिए तैयारी करता रहा है। उसने पिछले एक साल के दौरान, डॉलर पर अपनी निर्भरता काफ़ी कम दी है। इस प्रकार लग रहा है कि अगर तनाव इसी तरह से बढ़ता रहा तो रूस और पश्चिम सीधे टकरा जायेंगे।