तालिबान का लोया जिरगा, फ़ायरिंग की घटना ने बिगाड़ा खेल
(last modified Fri, 01 Jul 2022 11:03:31 GMT )
Jul ०१, २०२२ १६:३३ Asia/Kolkata
  • तालिबान का लोया जिरगा, फ़ायरिंग की घटना ने बिगाड़ा खेल

सत्ता में आने के बाद तालिबान पहली बार लोया जिरगा या एक बड़ा सम्मेलन की मेज़बानी कर रहे हैं। इस सम्मेलन में पूरे देश से तीन हज़ार से अधिक मुस्लिम विद्वान और क़बायली नेता शामिल हो रहे हैं, जो शांति व्यवस्था समेत सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

इस बीच, स्थानीय सूत्रों का कहना है कि काबुल में उस समय अफ़रा-तफ़री मच गई जब तालिबान की मेज़बानी वाले लोया जिरगा के पास से गोलियों और फ़ायरिंग की आवाज़ें सुनाई दीं। फ़्रीडम फ़ाइटर्स फ़्रंट नामक एक गुट ने बयान जारी करके हमले की ज़िम्मेदारी ली है और कहा है कि यह हमला तालिबान के विनाश और उन्हें नष्ट करने के लिए किया गया था। हालांकि तालिबान शासन ने इस घटना पर अबतक कोई बयान जारी नहीं किया है।

हमले के बाद तालिबान के हेलीकॉप्टरों ने लोया जिरगा के आयोजन स्थल पर गश्त शुरू कर दी है। तालिबान ने राजधानी भर में उच्च सुरक्षा तैनात की है, जिरगा स्थल की ओर जाने वाली सड़कों को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है। इलाक़े में किसी भी घटना को रोकने के लिए कड़े सुरक्षा के इंतेजाम किए गए हैं।

जिस समय लोया जिरगा स्थल के निकट फ़ायरिंग की गई, उस समय सम्मेलन में लड़कियों की शिक्षा पर चर्चा हो रही थी। हालांकि सम्मेलन में किसी महिला को आमंत्रित नहीं किया गया है। तालिबान के उप प्रधानमंत्री का कहना है कि महिलाओं की नुमाइंदगी भी पुरुष करेंगे।

यहां एक बात और उल्लेखनीय है कि अफ़ग़ानिस्तान में पिछले लोया जिरगों के विपरीत तालिबान की मेज़बानी में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में देश की कई महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्तियों ने भाग नहीं लिया और उनकी कुर्सियां ख़ाली पड़ी रहीं।

अफ़ग़ानिस्तान के इतिहास में लोया जिरगा का अपना एक महत्व रहा है। पिछले 100 वर्षों के दौरान इस देश के संविधानों में लोया जिरगा को एक विशेष महत्व दिया जाता रहा है। 1924 से लेकर आज तक 8 संविधानों में से 7 को लोया जिरगा ने पारित किया था। आख़िरी लोया जिरगा पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ़ ग़नी की सरकार में 2020 में आयोजित किया गया था। जिसमें सरकार ने तालिबान क़ैदियों की आज़ादी के मुद्दे को लोया जिरगा पर छोड़ दिया था।

दर असल, तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा तो कर लिया है, लेकिन उनकी सरकार को अभी तक किसी देश ने औपचारिकता प्रदान नहीं की है और एक व्यापक राष्ट्रीय सरकार नहीं होने से देश के भीतर भी इसकी लोकप्रियता काफ़ी कम है। इसी को देखते हुए तालिबान ने लोया जिरगा का आयोजन किया है, ताकि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ समर्थन जुटाया जा सके।

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