जार्ज फ़्लाइड के क़त्ल की तीसरी बर्सी, क्या अमरीका में कालों पर हमलों में कुछ कमी हुई?
(last modified Sat, 27 May 2023 09:19:55 GMT )
May २७, २०२३ १४:४९ Asia/Kolkata
  • जार्ज फ़्लाइड के क़त्ल की तीसरी बर्सी, क्या अमरीका में कालों पर हमलों में कुछ कमी हुई?

अमरीका में एक नस्लवादी गोरे पुलिस अफ़सर डेरेक शोविन के हाथों अफ़्रीक़ी मूल के अमरीकी नागरिक जार्ज फ़्लाइड के बेरहमाना क़त्ल की तीसरी बर्सी मनाई गई तो इस बात का मूल्यांकन ज़रूरी है कि क्या अमरीका में अश्वेतों के साथ हिंसक बर्ताव में कोई कमी आई है या नहीं?

आंकड़े बताते हैं कि यह संकट लगातार बना हुआ है। अमरीका में नस्ल परस्ती और कालों पर अत्याचार उतना ही पुराना है जितना अमरीका का इतिहास है। इस संकट का एक भयानक आयाम अश्वेतों के साथ पुलिस का हिंसक बर्ताव है। अमरीका में कालों की हत्या की आशंका गोरों से तीन गुना ज़्यादा रहती है। नस्लपरस्त सोच रखने वाले गोरे पुलिस अफ़सर कालों के साथ बेहद बेरहमी का बर्ताव करते हैं।

जार्ज फ़्लोइड को 25 मई 2020 को नस्ल परस्त पुलिस अफ़सर ने ज़मीन पर गिराकर अपने पैर के घुटने से उसका गला घोंट दिया था। जार्ज फ़्लोइड की बड़ी दर्दनाक मौत हुई थी। 29 मई को शोविन को मामूली आरोप में गिरफ़तार करके 5 लाख डालर के मुचलके पर रिहा कर दिया गया। बाद में शोविन पर इस मामले में अधिक गंभीर धाराएं लगाई गईं और मार्च 2021 में उसे लगभग 23 साल की जेल की सज़ा हुई। मगर इससे अमरीका में कालों पर पुलिस के हमलों में कोई कमी नहीं आई है। एक घटना तो अभी एक हफ़्ता पहले हुई जिसमें मिसीसिपी राज्य के इंडियानोला शहर में 11 साल के काले बच्चे ने पुलिस से मदद मांगी मगर पुलिस ने वहां पहुंचकर फ़ायरिंग की तो वह बच्चा घायल हो गया।

मिसीसिपी पुलिस का कहना है कि हमलावर पुलिस अफ़सर को अवकाश पर भेज दिया गया है। जुलाई 2014 में एरिक गार्नर नाम के एक काले व्यक्ति की न्यूयार्क में पुलिस के शिकंजे में मौत हो गई। हालिया वर्षों में बहुत से अश्वेत नागरिक पुलिस की हिंसा का निशाना बनकर हताहत हुए, इनमें माइकल ब्राउन, वाल्टर स्कट और तामीर राइस के नाम तो बहुत चर्चा में भी रहे।

जार्ज फ़्लाइड की बेरहमाना हत्या की वीडियो अमरीका ही नहीं पूरी दुनिया में वायरल हो गई जिसके बाद पूरे अमरीका में प्रदर्शन फूट पड़े थे और हर जगह अमरीकी समाज में नस्लपरस्ती के ख़िलाफ़ आवाज़ उठी। ब्लैक लाइव मैटर्ज़ के नारे की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी। इस पूरे प्रकरण में सबसे दुख की बात न्यायपालिक की संवेदनहीनता और ग़ैर ज़िम्मेदाराना रवैया है। अगर इस प्रकार के मामलो में अदालत की कार्यशैली की समीक्षा की जाए तो पता चलता है कि भेदभाव पूर्ण तरीक़े से अदालती कार्यवाही हुई और क़त्ल में लिप्त पुलिस अफ़सरों को बड़ी छूट दी गई। यही वजह है कि अपराधों का सिलसिला थमने के बजाए बढ़ता गया।

सामाजिक मामलों के विशेषज्ञ जस्टिन फ़ील्डमैन कहते हैं कि पुलिस के हाथों होने वाली मौतों को अगर देखा जाए तो अमरीका की हालत सारी दुनिया की तुलना में बहुत ख़राब है। जबकि इन घटनाओं में पुलिस के ख़िलाफ़ कभी ठोस कार्यवाही नहीं हो पाती। इस बीच जार्ज फ़्लाइड के क़त्ल जैसी कुछ घटनाएं अपवाद हैं जिनकी चर्चा पूरी दुनिया में हुई और प्रशासन को मजबूर होकर अपराधी के ख़िलाफ़ कार्यवाही करनी पड़ी। इस समय अमरीकी समाज के सामने यह बड़ी चुनौती है कि अश्वेतों के साथ हो रहे भेदभाव को बंद करवाए।

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