Aug ०२, २०२३ १३:२८ Asia/Kolkata
  • क्या स्वीडन के प्रधानमंत्री का बयान दुनिया भर के मुसलमानों के ज़ख़्मों पर नमक छिड़कना है?

स्वीडन में लगातार पवित्र क़ुरआन का अनादर किए जाने की घटनाओं के बाद पूरी दुनिया से आने वाली प्रतिक्रिया ने इस देश की सरकार पर कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। स्वीडिश प्रधानमंत्री ने कहा है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के क़ानून में बदलाव करने की उनकी सरकार की कोई योजना नहीं है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन ने कहा कि देश के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क़ानून को बदलने की कोई योजना नहीं है, जिसमें पवित्र क़ुरआन को जलाने और कई अन्य धार्मिक अपमान शामिल हैं। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, ''हम स्वीडन के लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में हैं।'' हालांकि, स्वीडिश प्रधानमंत्री ने देश के लोगों से अभिव्यक्ति की आज़ादी का ज़िम्मेदारी और सम्मान के साथ उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "स्वीडन जैसे स्वतंत्र देश में, आपको बहुत स्वतंत्रता है। उल्फ क्रिस्टरसन ने कहा कि इस आज़ादी की वजह से उनके देश के लोगों के कंधों पर बड़ी ज़िम्मेदारी भी आती है। क्योंकि सब कुछ क़ानून ही नहीं होता है। बहुत कुछ इंसान की नैतिकता भी होती है। हो सकता है कि कई चीज़ें क़ानूनी हों लेकिन वह भयानक हो सकती हैं। हम विभिन्न देशों और राष्ट्रों के बीच एक सम्मानजनक स्थान बनाने का प्रयास कर रहे हैं।'

स्वीडन में पवित्र क़ुरआन का अनादर करने वाला शैतान स्वीडिश नागरिक।

पवित्र क़ुरआन का लगातार हो रहे अपमान पर पूरी दुनिया से सामने आने वाली प्रतिक्रिया से चिंतित स्वीडिश प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि राष्ट्रीय सुरक्षा को इस तरह के कार्यों से स्पष्ट रूप से ख़तरा है, तो उनकी सरकार पुलिस को पवित्र ग्रंथों को जलाने से रोकने की अनुमति देगी। बता दें कि पिछले कुछ महीनों से स्वीडन में पवित्र क़ुरआन जलाने की घटनाएं हो रही हैं। संपूर्ण मुस्लिम जगत में इसके विरुद्ध निंदा एवं विरोध की आंधी चल रही है। इस्लामी गणराज्य ईरान समेत कई देशों ने स्वीडन के राजदूत को तलब किया है या निष्कासित कर दिया है। इसके अलावा 57 देशों वाले इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने एक आपातकालीन बैठक करके पवित्र क़ुरआन के अपमान के ख़िलाफ़ कड़े शब्दों में अपना रोष व्यक्त करते हुए इसकी निंदा की है। (RZ)

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