पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने तालेबान के बारे में क्या कहा?
(last modified Thu, 14 Sep 2023 09:20:20 GMT )
Sep १४, २०२३ १४:५० Asia/Kolkata

पाकिस्तान और तालेबान के बीच संबंध दिन -प्रतिदिन तनावग्रस्त होते जा रहे हैं। अभी तूरखम सीमा क्रासिंग को खोले जाने के बारे में पाकिस्तान और तालेबान के बीच जो वार्ता हुई थी वह विफल हो गयी।

इसी बीच पाकिस्तान के प्रभारी प्रधानमंत्री अनवारुल हक़ काकर ने कहा है कि अफगानिस्तान में तालेबान की सरकार कानूनी नहीं है। इस आधार पर पाकिस्तान अफगानिस्तान के अंदर होने वाली वास्तविकताओं, सीमावर्ती क्षेत्रों और खैबर पख्तून प्रांत में होने वाले परिवर्तनों और साथ ही वह काबुल सरकार के क्रियाकलापों पर पैनी नज़र रखे हुए है।

पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने तालेबान की सरकार के बारे में जो यह कहा है कि तालेबान की सरकार कानूनी नहीं है उससे इस्लामाबाद और काबुल के मध्य राजनीतिक दूरियां और बढ़ गयी हैं। पाकिस्तान के प्रभारी प्रधानमंत्री का यह बयान कुछ पहलुओं से समीक्षा योग्य है। पहला यह कि पाकिस्तान की सरकार किसी भी प्रकार से अफगानिस्तान में तालेबान की सरकार को स्वीकार नहीं करती है और उसके लिए समस्यायें उत्पन्न कर सकती है।

दूसरे यह कि अगर पाकिस्तान और तालेबान के बीच वार्ता होती है तो यह वार्ता कबूल सतह की नहीं होगी क्योंकि बहुत से हल्कों का मानना है कि तालेबान पश्चिम विशेषकर अमेरिका का कठपुतली है जिसने अफगानिस्तान की सत्ता की बागड़ोर अपने हाथों ले रखी है।

अंतरराष्ट्रीय मामलों के एक विशेषज्ञ मंसूर अहमद खान इस संबंध में कहते हैं पाकिस्तान की ओर से तालेबान की सरकार को ग़ैर कानूनी कहने से दोनों पक्षों के बीच हर प्रकार की सहकारिता व सहयोग का रास्ता बंद हो जाता है मगर यह कि तालेबान सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा की आपूर्ति में इस्लामाबाद के दृष्टिगत मांगों को स्वीकार करे और तालेबान उस पर एक ज़िम्मेदार पक्ष के रूप में अमल करे पर तालेबान उसके संबंध में उपेक्षा से काम ले रहा है।

पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के कथनानुसार कूटनयिक क्षेत्रों में भी मौजूद वास्तविकताओं की अनदेखी नहीं करनी चाहिये। इस आधार पर महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या तीन ट्रिलियन डालर खर्च करने और अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप के बाद अफगानिस्तान में कोई केन्द्रीय सरकार है? पाकिस्तान के प्रभारी प्रधानमंत्री का बयान अफगानिस्तान में तालेबान के क्रियाकलापों से इस्लामाबाद के भारी क्रोध का सूचक है।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का मानना है कि पश्चिमी देश अफगानिस्तान से चले गये पर इस समय काबुल में जो सरकार है वह कानूनी नहीं है। अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो के जो हथियार रह गये हैं उसके प्रति भी  उन्होंने अभी हाल ही में चिंता जताई और कहा था कि मैंने सोचा था कि तालेबान की सरकार से पाकिस्तान की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर होगी परंतु एसा कुछ नहीं हुआ। प्रतीत यह हो रहा है कि पाकिस्तान के मुकाबले में तालेबान का अपेक्षाकृत स्वतंत्र दृष्टिकोण इस्लामाबाद के क्रोध का कारण बना है क्योंकि तालेबान पाकिस्तान के साथ पुराने सीमावर्ती विवादों व मतभेदों की बात कर रहा है जो पाकिस्तान को पसंद नहीं है।

राजनीतिक मामलों के एक अन्य टीकाकार अब्बास खटक इस बारे में कहते हैं पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच महत्वपूर्ण मतभेद हैं और पाकिस्तान को यह अपेक्षा नहीं थी कि तालेबान के सत्ता में आने से दोबारा ये मतभेद सिर उठायेंगे परंतु प्रतीत यह हो रहा है कि पाकिस्तान का मानना है कि अफगानिस्तान के साथ जो सीमा विवाद व मतभेद हैं उन्हें जानबूझ कर और सोचसमझ कर तालेबान के कुछ तत्वों की ओर से उठाया जा रहा है।

बहरहाल पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्रासिंग तूरखम के बंद होने से दोनों देशों के लोगों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। दोनों देशों के व्यापार व वाणिज्य कक्ष से जुड़े अधिकारियों के कथनानुसार दोनों देशों के व्यापारियों को दस लाख डालर से अधिक का नुकसान हो चुका है। जानकार हल्कों का मानना है कि अगर पाकिस्तान और तालेबान के मध्य विवादों का समाधान शीघ्र नहीं हुआ तो विदेशियों विशेषकर अमेरिकी हस्तक्षेप का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा और यह वह चीज़ है जो न केवल अफगानिस्तान और पाकिस्तान बल्कि क्षेत्र के किसी भी देश के हित में न होगी। MM

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