परमाणु हथियारों को लेकर गुटेरेस की कड़ी चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दुनिया को एक नई परमाणु हथियारों की दौड़ में प्रवेश करने और दुनिया पर विनाश का ख़तरा मंडराने के बारे में चेतावनी दी है।
गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के आख़िरी दिन कहाः हथियारों की होड़ चिंताजनक है और परमाणु हथियारों की संख्या पिछले दशकों में पहली बार अधिक बढ़ सकती है।
परमाणु हथियारों की होड़ को उन्होंने पागलपन बताते हुए कहा कि किसी भी समय, स्थान और किसी भी संदर्भ में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल, मानवीय तबाही का कारण बनेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया ने परमाणु हथियारों की छाया में एक लंबा समय बिताया है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने दुनिया भर के देशों से विनाश की कगार से पीछे हटने का आह्वान किया।
दुनिया में परमाणु शस्त्रागारों की वृद्धि और परमाणु हथियारों के यथासंभव विकास और उन्हें हासिल करने की बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने वैश्विक सुरक्षा को गंभीर ख़तरे में डाल दिया है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस और अमरीका के बीच अभूतपूर्व टकराव और अमरीका के नेतृत्व वाले पश्चिम के ख़तरों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की परमाणु चेतावनी समझ में आती है। दरअसल, शीत युद्ध के बाद, यूक्रेन युद्ध में पहली बार दुनिया को परमाणु युद्ध के गंभीर ख़तरे का सामना करना पड़ रहा है। रूस ने पश्चिम के युद्धोन्मादी दृष्टिकोण के कारण परमाणु आपदा की घटना के बारे में बार-बार चेतावनी दी है।
इस संबंध में अपने नवीनतम रुख़ में रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और इस देश के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने नाटो को फासीवादी गुट के समान बताते हुए कहाः अगर आवश्यक हुआ तो रूस इसका सामना करने के लिए तैयार है। उन्होंने चेतावनी दी कि इन कार्यों के परिणाम से मानवता को 1945 की तुलना में कहीं अधिक नुक़सान होगा।
दरअसल, दुनिया पिछले सात दशकों से परमाणु युद्ध के दुःस्वप्न का सामना कर रही है। प्रमुख परमाणु शक्तियां अभी भी अपने परमाणु शस्त्रागारों का आधुनिकीकरण कर रही हैं। पांच देश जिन्हें परमाणु राष्ट्र के रूप में मान्यता प्राप्त है, अर्थात् अमरीका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम पिछले कुछ दशकों से अपने परमाणु हथियारों का नवीनीकरण कर रहे हैं। इस संबंध में गुटेरेस ने परमाणु शक्तियों की आलोचना की और इस बात पर ज़ोर दिया कि उन्होंने अपने परमाणु हथियारों को अधिक धार दी है, उनका पता लगाने को अधिक कठिन बना दिया है और परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने और परमाणु निरस्त्रीकरण को आगे बढ़ाने के लिए जो संरचना तैयार की गई थी, उसे कमज़ोर बना दिया है।