Nov १८, २०२३ १७:५० Asia/Kolkata
  • अगर पश्चिम की मदद बंद हो जाए तो यूक्रेन पीछे हटने पर मजबूर हो जाएगाः ज़लेन्स्की

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदमीर ज़ेलेन्स्की ने स्वीकार किय है अगर पश्चिमी घटक देशों की तरफ़ से मिलने वाली सामरिक सहायता रुक जाए तो यूक्रेन की सेना पीछे हटने पर मजबूर हो जाएगी।

ज़ेलेन्स्की ने विदेशी मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस समय हम पश्चिमी देशों की सहायता पर केन्द्रित हैं, मध्यपूर्व के हालात की वजह से पश्चिम का ध्यान यूक्रेन से हट रहा है, अगर पश्चिमी देशों का समर्थन जारी न रहा तो हम पीछे हटने पर मजबूर होंगे।

कीएफ़ ने कई बार यह बात कही है कि पश्चिमी देशों ने युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रेन के लिए सामरिक सहायता का दायरा लगातार बढ़ाया और यूक्रेन की सेना को ताक़त पहुंचाने में निर्णायक भूमिका अदा की। साथ ही यूक्रेन के अधिकारियों का इस बात पर आग्रह रहा है कि पश्चिमी देश सहायता की मात्रा और बढ़ाएं और आधुनिक हथियारों की सप्लाई करें।

अलअक़सा तूफ़ान आप्रेशन और उसके बाद ग़ज़ा युद्ध शुरू हो जाने के बाद ज़ेलेन्स्की ने कई बार चिंता जताई कि पश्चिमी देशों ने वादे किए थे लेकिन फिर भी उनकी तरफ़ से सहायता घटने लगी है। उन्होंने कहा कि ग़ज़ा पर इस्राईल के हमले शुरू होने के बाद से हमें तोपों के गोलों की सप्लाई कर दी गई है।

यूक्रेन जंग को आगे बढ़ाने में पश्चिमी देशों और सबसे बढ़कर अमरीका की सामरिक सहायता की बुनियादी भूमिका के बारे में ज़ेलेन्स्की का बयान यह बताता है कि यूक्रेन की जंग और रक्तपात जारी रखने में पश्चिमी देश किस तरह भागीदारी कर रहे हैं। जंग के 22 महीनों में इन देशों की भागीदारी बहुत ज़्यादा रही है। पश्चिमी ब्लाक और नैटो के सरग़ना की हैसियत से अमरीका इस कोशिश में है कि यूक्रेन की जंग इसी तरह जारी रहे और रूस की सामरिक व रक्षा शक्ति को भारी नुक़सान पहुंच जाए। अमरीका और नेटो के अधिकारियों का विचार है कि यूक्रेन जंग में अगर रूस जीत गया तो नेटो की साख मिट्टी में मिल जाएगी और रूस का क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव कई गुना बढ़ जाएगा। इसके साथ ही यूरोप में भी सामरिक, सुरक्षा व राजनैतिक समीकरण बदलेंगे जिनसे रूसे को फ़ायदा और पश्चिम को नुक़सान होगा।

यह लगता है कि इस्राईल की जंग की वजह से यूक्रेन का विषय अमरीका और पश्चिमी देशों की प्राथमिकताओं में नीचे चला गया है। इससे यूक्रेन के अधिकारियों में नाराज़गी है। उन्हें पता है कि पश्चिमी देशों की सहायता कम होने की स्थिति में रूस के सामने वे बहुत कम समय में कमज़ोर पड़ जाएंगे। यूक्रेन के वित्त मंत्री सर्गेई मारचेन्को ने कहा कि यूक्रेन के पश्चिमी घटक इस समय अपने आंतरिक मामलों और पश्चिमी एशिया के हालात पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं इसलिए कीएफ़ को बजट मुहैया करने की प्रक्रिया प्रभावित हो गई है। मारचेन्को का कहना था कि अमरीका और यूरोपीय देशों में आने वाले साल के चुनावों की वजह से भी पश्चिमी सरकारों ने यूक्रेन को नज़रअंदाज़ करना शुरू कर दिया है। यूक्रेन को वर्ष 2024 के लिए 43 अरब डालर की ज़रूरत है और इसका बड़ा हिस्सा वो पश्चिमी देशों हासिल करने की उम्मीद में है।

इस समय बाइडन सरकार ज़ोर दे रही है कि यूक्रेन की आर्थिक व सामरिक सहायता जब तक ज़रूरी है जारी रखी जाए मगर पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प और रिपब्लिकन नेताओं का कहना है कि इस बारे में फ़ैसला कांग्रेस को करना चाहिए। दिसम्बर में अमरीका और यूक्रेन के अधिकारियों की एक मीटिंग रखी जा रही है जिसमें यह विचार किया जाएगा कि यूक्रेन को दी जने वाले अमरीकी सहायता की मात्रा किस तरह कम की जा सकती है।

अमरीका अगर सहायता की मात्रा कम करेगा तो यह बोझ यूरोपीय देशों पर डाला जाएगा मगर यूरोपीय देश सामरिक उद्योगों की दृष्टि से इसके लिए तैयार नहीं हैं। इस स्थिति को भांप कर यूक्रेन की चिंता काफ़ी बढ़ गई है।

 

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