बांग्लादेश का प्रधानमंत्री कौन बना?
शैख़ हसीना वाजिद एक बार फिर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बन गयी हैं।
बांग्लादेश में होने वाले संसदीय चुनावों में दो तिहाई से अधिक सीटें उन्हें प्राप्त हुईं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री ख़ालिदा के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने इन चुनावों का बहिष्कार कर रखा था। शेख हसीना वाजिद 76 वर्ष की हैं और वह दो दशकों से बांग्लादेश में सत्ता में हैं और अब वे एक बार फिर पांच वर्षों के लिए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बन गयी हैं। दूसरे शब्दों में जब से बांग्लादेश बना है तब से शैख हसीना वाजिद वह महिला हैं जो सबसे अधिक समय तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद पर आसीन रही हैं।
बांग्लादेश में आम चुनाव एसी स्थिति में हुए हैं जब इस देश के चुनाव आयोग की घोषणा के अनुसार इस बार के चुनावों में लगभग 40 प्रतिशत लोगों ने भाग लिया जबकि इससे पहले 2018 में होने वाले चुनाव में लगभग 80 प्रतिशत लोगों ने भाग लिया था। बांग्लादेश में होने वाले चुनावों पर गहरी नज़र रखने वाले स्वतंत्र विश्लेषक और कार्यकर्ता माजूमदार कहते हैं हम किसी भी स्थिति में इन चुनावों को उचित चुनाव नहीं समझते हैं क्योंकि इसमें बहुत कम लोगों ने भाग लिया।
इसी प्रकार उन्होंने कहा कि अपनी ज़िन्दगी में जो चुनाव भी उन्होंने देखा है उनमें सबसे कम भागीदारी इसमें रही है। कल रात को मतदान खत्म हो जाने के बाद बांग्लादेश के संचार माध्यमों ने रिपोर्ट दी कि सत्ताधारी पार्टी" अवामी लीग" ने 225 सीटों में से 172 पर जीत हासिल कर ली है परंतु संसद की कुल 300 सीटों के परिणाम आज स्पष्ट हो जायेंगे और परंतु कल जिन चुनाव परिणामों की घोषणा की गयी उससे स्पष्ट हो गया कि शैख हसीना वाजिद चुनावों में विजयी हो गयीं।
बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर्रहमान की बेटीं शैख हसीना वाजिद की अवामी लीग पार्टी एसी हालत में विजयी हो रही है जब बांग्लादेश की अस्ली विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट BNP ने इन चुनावों का बहिष्कार कर रखा था। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष ख़ालिया ज़िया आर्थिक भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद थीं और इस समय वह बीमार और घर में नज़रबंद हैं।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी BNP के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं ने शैख हसीना वाजिद पर चुनाव में घपला करने और धांधली का आरोप लगाया है। इन नेताओं ने शेख हसीना वाजिद से प्रधानमंत्री के पद से त्यागपत्र देने की मांग की थी और कहा था कि जनवरी 2024 में होने वाले चुनावों की ज़िम्मेदारी एक अंतरिम व निष्पक्ष सरकार के हवाले कर दें परंतु सत्ताधारी पार्टी ने यह मांग रद्द कर दी थी।
इसके विपरीत बांग्लादेश की सत्ताधारी सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में अपने विरोधियों पर हिंसा कराने और सुरक्षा को खतरा पहुंचाने का आरोप लगाया। इसी कारण शैख हसीना वाजिद ने अपने विरोधी संगठनों व धड़ों पर आम सुरक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और उन पर आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाया था। MM
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